
30 साल पहले जिस पत्थर पर चली थी राम नाम की छेनी, अब वह पत्थर संभालेगा पूरी मंदिर का भार
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
अयोध्या. 30 साल पहले देखा गया सपना अब पूरा होने वाला है। सितंबर 1990 में जिस पहले पत्थर पर राम के नाम की छेनी और हथौड़ी चली थी वह पत्थर पूजन के विधि-विधान के साथ शुक्रवार को अपने गंतव्य को पहुंच गया। तीन दशक तक जिस पत्थर को छूकर हजारों श्रद्धालु भव्य राम मंदिर के निर्माण की परिकल्पना से अभिभूत हो जाते थे वह पत्थर जल्द ही नींव में समा जाएगा और इसी के साथ वह पत्थर इतिहास बन जाएगा। शुक्रवार को वैदिक रीति रिवाज से पूजन अर्चन के बाद एलएंडटी कंपनी ने क्रेन और ट्रकों के जरिए नींव निर्माण कार्य में प्रयुक्त होने वाले पत्थरों को कारसेवक पुरम कार्यशाला से रामजन्मभूमि परिसर तक पहुंचाने का काम शुरू किया। नींव की ढलाई की रिपोर्ट आ चुकी है। अब नींव भरने के काम में तेजी आएगी।
रिंग मशीनें कर रहीं खुदाईं
राम मंदिर निर्माण के लिए फाउंडेशन बनाने और नींव की खोदाई के लिए रिंग मशीनें लगायी गयी हंै। खुदाई का काम तेजी से चल रहा है। ढलाई भी जारी है। इस बीच राम मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों को कार्यशाला से राम लला परिसर पहुंचाने का काम भी शुरू हो गया है। रामजन्मभूमि परिसर में एक एकड़ भूमि में अलग से कार्यशाला स्थापित की गयी है। जहां पत्थरों को जरूरत के अनुसार अंतिम रूप से ढलाई की जाएगी। मंदिर निर्माण के लिए तीन हजार घनफुट पत्थरों की जरूरत होगी।
3 क्रेन, 10 ट्रक व 50 मजदूर लगे
एलएंडटी कंपनी के सुपरवाइजर मनोज सुनपुरा के मुताबिक शुक्रवार से पत्थरों की ढुलाई का काम शुरू हुआ है। इस काम में तीन क्रेन और 10 ट्रकों के साथ 50 मजदूर लगाए गए हैं। ढुलाई का काम 24 घंटे चलेगा।
सितंबर 1990 में शुरू हुआ था काम
राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी का कार्य सिंतबर 1990 में कारसेवक पुरम में दो कारीगरों से शुरू हुआ था। इस दौरान 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से अयोध्या लाए गए। 1992 में कुछ दिनों तक काम रुका फिर 1995 में बड़ी संख्या में कारीगरों को लगाया गया। 10 सितंबर 2010 में हाईकोर्ट के फैसले के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तब एक बार फिर काम की गति धीमी हो गई। 2013 में पत्थरों के राजस्थान से आने पर रोक लगाई गई। 2014 में मोदी की सरकार बनते ही यह कार्य पुन: प्रारंभ हो गया। 15 कारीगर 2018 तक पत्थर तराशी के काम में जुटे रहे। 2019 में लगातार सुनवाई के कारण कार्य रोक दिया गया। इस तरह अब तक मंदिर निर्माण के लिए जरूरत के 60 प्रतिशत पत्थरों की तराशी का काम पूरा हो चुका है।
Updated on:
09 Oct 2020 04:47 pm
Published on:
09 Oct 2020 04:28 pm
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