
अयोध्या में बसे कई रंगों में राम, काले राम और गोरे राम की अजब गजब है मान्यता
अयोध्या में भगवान राम के कई रूप और रंगों में दर्शन होते हैं। ऐसे में राम नगरी के सरयू तट स्थित भगवान कालेराम व गोरे राम का मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता है कि सच्चे दिल जो भी मांगों उसकी मुराद पूरी होती है। कहा जाता है कि अयोध्या के मंदिरों में भक्तों की भावना के अनुरूप भगवान का दर्शन होता है और इन्हीं दर्शनों के लिए भगवान के अलग-अलग रूप और रंग में मंदिर में भगवान की स्थापना भक्तों के द्वारा अलग-अलग किया गया है।
अयोध्या में काले राम मंदिर की प्राचीन स्थापना
काले का मंदिर के पुजारी राघवेंद्र देशपांडे ने बताया कि काले राम भगवान इनकी स्थापना आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व हुई थी उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने श्री राम जन्मभूमि पर इसकी स्थापना की थी। वह विगह 1528 ईसवी तक अपने पूर्व तक रहा। लेकिन बाबर ने जब आक्रमण किया तो उस समय वहां पर एक सिद्ध संत श्यामानंद सरस्वती थे। उनको यह आभास हुआ कि मुगल आक्रमण करेंगे मंदिर को तोडेगे मूर्तियों को भंग करेंगे तो उन्होंने मूर्ति को बचाने के लिए उसे सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया और उसके उपरांत मुगलों ने आक्रमण किया तो उन्हें मूर्तियां नहीं प्राप्त हुई वह भगवान जो 1528 में सरयू जी में प्रवाहित की गई और 220 वर्ष तक नहीं मिली सन 1748 के आसपास की घटना है महाराष्ट्र के एक संत जो नदी के किनारे रह कर तपस्या कर रहे थे इस दौरान उन्हें भगवान का दर्शन और आदेश हुआ कुछ ही दूरी पर नागेश्वर नाथ मंदिर है वहां पर हमारी स्थापना करो। और जब स्नान करने महात्मा नदी में गए तो उन्हें सरयू नदी में वह मूर्ति प्राप्त हुआ। इस मूर्ति के प्राप्त होते ही सबसे पहले उनके मुंह से यही शब्द निकला काले राम जी मिल गए इसलिए इस मंदिर में विराजमान भगवान का नाम काले राम पड़ा।
भक्तों ने बनाया मंदिर विराजे भगवान तो बन गए गोरे राम
वही कहा सिर्फ गोरे राम कि नहीं बल्कि अयोध्या में 7000 मंदिर है जहां पर अनेक भक्तों के द्वारा मंदिर स्थापित किए गए हैं उसी प्रकार से गोरे राम जी का भी मंदिर है यह भक्तों के द्वारा नामकरण किया गया है भगवान को भक्त अपने भावनाओं के अनुरूप बनाए हुए हैं और भक्तों की भावना प्रधान होती है अनेक संत व भक्त हैं जो अलग-अलग भाव में और अलग अलग स्वरूप में भगवान की दर्शन करते हैं लेकिन सब का उद्देश्य भगवत प्राप्त ही है। वही गोरी राम मंदिर के पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर ग्वालियर के राजा थे। गितार साहिब उनके माता जी के द्वारा यह मंदिर स्थापित है इस मंदिर की स्थापना के दौरान उनके मुंह से पहला शब्द निकला कि गोरे राम बहुत सुंदर हैं तो इस मंदिर का नाम भी गोरी राम के नाम से पड़ गया।
Published on:
19 Nov 2022 08:28 am
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