
अनूप कुमार
अयोध्या : पूर्व में फैजाबाद (Faizabad ) के नाम से पहचाने जाने वाले अयोध्या ( Ayodhya ) शहर के सिविल लाइन इलाके स्थित राम भवन ( Ram Bhavan ) में रहने वाले गुमनामी बाबा ( gumnami baba ) के रहस्य को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है . गुमनामी बाबा की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस विष्णु सहाय ( Justice Vishnu Sahay Ayog ) की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने किया है . इस रिपोर्ट में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि फैजाबाद के गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( neta ji subhash chandra bose ) नहीं थे ,हाँ इतना ज़रूर है कि वो नेता जी के करीबियों में से एक थे .मंगलवार को उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ( UP CM Yogi Adityanath ) अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की विशेष बैठक में इस जांच आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा ( up vidhansabha ) में भी रखे जाने का फैसला किया गया है .
गुमनामी बाबा के रहस्य की जांच करने वाले जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
बताते चलें कि लंबे समय से इस बात को लेकर चर्चा जारी है कि फैजाबाद और अयोध्या के विभिन्न स्थानों पर अपनी पहचान छुपाकर रहने वाले गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे .गुमनामी बाबा के अनुयायियों के मुताबिक उनके कमरे से मिले सभी सामान नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( Gumnami Baba Was Not Neta Ji Subhash Chandra Bose ) के जीवन से जुड़े हैं . इसी वजह से लोगों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस है . खास बात यह भी है कि विधानसभा में जांच आयोग की रिपोर्ट रखे जाने से इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने की लंबे से समय से चली आ रही मांग भी पूरी हो जाएगी | कैबिनेट ने इस जांच रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है अब इस रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जा सकेगा |
लम्बे इंतज़ार के बाद अब सार्वजनिक होगी जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट,सामने आ सकते हैं चौकाने वाले तथ्य
बताते चलें कि फैजाबाद में लंबे समय तक रहे गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी( Gumnami Baba Urf Bhagwan Ji ) के नेताजी सुभाष चंद्र बोस होने की बात सरकार के संज्ञान में तब आई थी जब गुमनामी बाबा के निधन के बाद उनके पास मिले सामान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पुराने फोटो ,पत्र कई अहम दस्तावेज और कुछ ऐसे सामान भी पाए गए थे जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने प्रयोग में लाते थे | जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए एक सदस्य जांच आयोग गठित किया गया था | जांच आयोग ने वर्ष 2017 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी तब से लोग इस बात को जानने के लिए उत्सुक थे कि आखिरकार सच्चाई क्या है और यह मामला लोकसभा और विधानसभा में भी उठा कि इस जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए | रिपोर्ट सार्वजनिक किये जाने के बाद कई और अहम् जानकारियाँ सामने आ सकती हैं |
Published on:
24 Jul 2019 10:13 am
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