
बाबर के वंशज होने का दावा करने वाले मुग़ल राजकुमार ने कहा राम मंदिर निर्माण के लिए दूंगा सोने की ईंट
अयोध्या : देश की सबसे बड़ी अदालत में चल रहे देश के सबसे बड़े मुकदमे राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद ( Ram Janm Bhoomi Babari Masjid Case ) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के 5 जजों की विशेष संविधान पीठ अब नियमित रूप से इस मुकदमे की सुनवाई कर रही है . जहां एक तरफ कोर्ट के जरिए जल्द से जल्द इस मुकदमे का हल निकलने के इंतजार में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष कार है . वहीं कोर्ट के बाहर भी अब एक ऐसा माहौल तैयार हो रहा है ,जिसे देख कर खुद बाबरी मस्जिद ( Babari Masjid ) मामले के पक्षकारों को भी यह सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा कि आखिरकार जिस मुस्लिम समुदाय के समर्थन का दावा करते हुए अयोध्या मामले को लेकर सड़क से संसद तक आवाज उठाने की बात वह करते रहे हैं ,क्या वही मुस्लिम समुदाय अब यह मान चुका है कि अयोध्या में विवादित भूमि पर रामलला ( Ramlala ) का अधिकार है और उस स्थान पर राम मंदिर ( ram Mandir ) का ही निर्माण होना चाहिए . ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि अयोध्या की आबोहवा में कुछ ऐसा माहौल पनप रहा है . सोमवार को अयोध्या के तमाम मुस्लिम समुदाय के लोगों ने राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण कार्यशाला कारसेवक पुरम ( Karsewakpuram ) परिसर में जा कर मंदिर निर्माण के लिए तराश कर रखे गए पत्थरों पर जमी काई को साफ किया और कहा कि रामलला सिर्फ हिंदुओं के नहीं हमारे भी पैगंबर हैं, इसलिए उनके मंदिर निर्माण ( Ram Mandir Nirman in ayodhya )में हम भी अपना पूरा योगदान देना चाहते हैं .
देश के मुस्लिमों के साथ बाबरी को लेकर सड़क से संसद तक आवाज़ उठाने की बात करने वाले आखिर क्यूँ नही समझ रहे देश का मूड
वही खुद को मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर ( Bahadur Shah Jafar ) का वंशज बताने वाले राजकुमार हबीबुद्दीन तूसी ( Prince Habibuddin Tusi ) ने एक बड़ा बयान दिया है . प्रिंस तूसी ( prince Tusi ) ने कहा है कि वह चाहते हैं पहले उस विवादित भूमि को उन्हें सौंपा जाना चाहिए ,क्योंकि मुगल बादशाह बाबर ( Mugal Badshah Babar ) ने सन 1529 में बाबरी मस्जिद बनाई थी और वह उसी बाबर ( Babar ) के वंशज हैं . उनका कहना है कि उस जमीन के असली हकदार वही है , अगर ऐसा होता है तो वह देश के करोड़ों हिंदुओं की जन भावनाओं का ध्यान रखते हुए पूरी की पूरी जमीन राम मंदिर के लिए देंगे . इतना ही नहीं राम मंदिर निर्माण के लिए प्रिंस तूसी सोने की ईंट भी दान करेंगे . प्रिंस तूसी का यह भी कहना है कि इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की थी लेकिन अभी तक उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार नहीं हुआ है .
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले अयोध्या में पनप रही है ऐसी आबोहवा जिस से मजबूत हो रही दोनों सम्प्रदायों के रिश्तों की डोर
कारसेवकपुरम कार्यशाला में मंदिर निर्माण के लिए रखे पत्थरों पर जमी काई साफ करते हुए मुस्लिम बबलू खान ने कहा कि जितना हिंदू का राम पर हक है उतना हक मुसलमानों का भी है। कुछ कट्टरपंथी लोगों ने समाज को बरगलाने का काम किया है। हिंदू और मुस्लिम को भड़काने का काम किया है। मोहम्मद अशफाक अहमद ने कहा कि हम राम को अपना पैगम्बर मानने वाले हैं और विश्वास है कि जल्द से जल्द देश के विकास के लिए जैसे जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई गई है कि पूरे देश में एक ही कानून हो वैसे ही अयोध्या में राम का मंदिर भी बनेगा .मुस्लिम समुदाय से जुड़े आफाक अहमद ने कहा कि जम्मू कश्मीर के रहने वाले लोग भी हिंदुस्तानी थे और अब वह पूरी तरह से आजाद हो चुके हैं। कश्मीरी घुट-घुट कर जी रहे थे लेकिन अब कश्मीर में विकास की गंगा बहेगी .बताते चलें कि प्रिंस तूसी अकेले ऐसे मुस्लिम नहीं है जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की वकालत की है. बल्कि देश के कई इलाकों में कई बड़े मुस्लिम नेताओं ने भी जन भावनाओं का हवाला देते हुए उस स्थान पर राम मंदिर निर्माण की ही वकालत की है . अब देखना यह है कि बदले हुए हालात में अयोध्या विवाद में क्या फैसला आता है ,क्या राम लला का मंदिर बन पाएगा या सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी कुछ ऐसा ही होगा जिसे स्वीकार कर पाना दोनों पक्षों के लिए आसान नहीं होगा .
Published on:
19 Aug 2019 07:50 pm
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