
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
अयोध्या. Ayodhya Ram Mandir- राम मंदिर विस्तार के लिए खरीदी गई जमीन पर विवाद शुरू हो गया है। राजनीतिक पार्टियां ट्रस्ट और सरकार पर हमलावर हैं तो साधु-संत भी दो धड़ों में बंट गये हैं। एक धड़ा ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय व सदस्य अनिल मिश्र को पद से निलंबित करने की मांग कर है, दूसरी तरफ तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने इसे राजनीतिक षड़यंत्र करार दिया। आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें ट्रस्ट व बीजेपी का विरोध करने के लिए 100 करोड़ का ऑफर दिया गया। इस संबंध में गुरुवार को बाकायदा एक पत्र भी जारी किया।
परमहंस दास ने कहा कि गुरुवार सुबह सात बजे दो व्यक्ति पहुंचे और मुझे ट्रस्ट और बीजेपी का विरोध करने के लिए 100 करोड़ का ऑफर दिया। जब मैं नहीं माना तो आप और कांग्रेस की जीत पर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने तक का प्रलोभन दिया, लेकिन मैंने कहा कि मैं एक संत हूं। मेरे लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है। इसके बाद वह दोनों चले गये। महंत ने कहा कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती को इन लोगों ने खरीद लिया है, जिसके बाद उनके अनुयायी ट्रस्ट और बीजेपी के विरोध में भी जुट गए हैं।
क्या कहा था अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने
रामालय ट्रस्ट के अध्यक्ष अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जमीन खरीद मामले में ट्रस्ट को सीधे तौर पर कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम के नाम पर ट्रस्ट बनाया गया है इसलिए उसका उद्देश्य श्रीराम के आदर्शों की स्थापना है। उन्होंने कहा कि कोई बंद आंखों वाला भी देखेगा तो दो मिनट पहले कोई चीज दो करोड़ की होती है और आठ मिनट बाद 18.5 करोड़ की हो जाती है, यह नहीं हो सकता, लेकिन आपने कर के दिखा दिया है और आप कहते हैं एकदम सही है। विमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस विवाद पर शीघ्र से शीघ्र निष्पक्ष लोगों की जांच कमेटी बनाई जाए और जिन लोगों पर आरोप लगा है जांच की सच्चाई सामने आने तक उनको हर तरह के दायित्व से मुक्त कर दिया जाए।
Published on:
17 Jun 2021 03:37 pm
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