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मरी माता मंदिर : यहाँ गिरा था माता सती का अंश

प्राचीन मान्यता है कि जब भगवान शंकर ने माता सती के शरीर को लेकर ताण्डय किया था। उस समय भगवान विष्णु ने भगवान शंकर की सती के प्रति मोह को समाप्त करने का प्रयास किया था। उस समय माता का एक अंश इस स्थान पर गिरा था। लोग वर्षों से इस स्थान को मरी माता नाम से पूजते चले आ रहे है।

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मरी माता का प्राचीन मंदिर।

Ayodhya mari Mata Temple: पावन सरयू नदी के किनारे अयोध्या नगर के प्रसिद्ध गुप्तारघाट स्थान पर आदि शक्ति मरी माता का प्राचीन मंदिर लाखों श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है। यहां नवरात्र के मौके पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है। आदि शक्ति श्री मरीमाता मंदिर के महंथ चन्द्र शेखर त्रिपाठी कहते हैं कि प्राचीन मान्यता है कि जब भगवान शंकर ने माता सती के शरीर को लेकर ताण्डय किया था। उस समय भगवान विष्णु ने भगवान शंकर की सती के प्रति मोह को समाप्त 2करने का प्रयास किया था। उस समय माता का एक अंश इस स्थान पर गिरा था।लोग वर्षों से इस स्थान को मरी माता नाम से पूजते चले आ रहे है। उन्होनें बताया जनसहयोग से श्री मरी माता मंदिर का जीर्णोद्वार कराया। उन्होंनें बताया कि फैजाबाद के गजेटियर में भी इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख है।श्री त्रिपाठी ने बताया कि यहां 15 अक्टूबर को कलश स्थापना के बाद से है। लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।


20 अक्टूबर को मंदिर महोत्सव ,यहां आरती, फूलों की होली व गरबा का आयोजन होगा।23 अक्टूबर को सामूहिक हवन व कन्या जेंवाई ,26 अक्टूबर को माता की चौकी व 27अक्टूबर को विशाल भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम आदिशक्ति श्री मरीमाता मंदिर सेवा ट्रस्ट के संयोजन से आयोजित किया जाता है। यहां आयोजित होने वाले भण्डारे में एक लाख से अधिक श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं।भण्डारे मे प्रति वर्ष की जनपद से श्रद्धालु शामिल होकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। लोगों का विश्वास है कि यहां जो मनोती की जाती है। वह अवश्य पूर्ण होती है । गुप्तारघाट पर यह स्थान काफी जंगल के बीच है। वर्ष 2009 में यहां मंदिर निर्माण के बाद से लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।


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