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अयोध्या का एक अनोखा मंदिर जहां वर्ष में भगवान को खिलाया जाता हरे चने

अयोध्या के रामकोट क्षेत्र स्थित है भगवान मतगजेंद्र का मंदिर जहां 14 मार्च को लगेगा भव्य मेला

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अयोध्या के कोतवाल माने जाते हैं मतगजेंद्र

अयोध्या के कोतवाल माने जाते हैं मतगजेंद्र

राम नगरी अयोध्या के रामकोट क्षेत्र स्थित प्राचीन भगवान मतगजेंद्र का मंदिर की अनोखी परंपरा का आयोजन किया जाता है।

होली के बाद मेले का सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा

होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार को बुढ़वा मंगल पर्व मनाया जाता है। इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से भव्य मेला उत्सव भी अयोजन होता है।

अयोध्या के कोतवाल माने जाते हैं मतगजेंद्र

अयोध्या के इस मंदिर में विराजमान भगवान मतगजेंद्र अयोध्या के कोतवाल माने जाते हैं। और इनका पूजन अर्चन कोतवाल के रूप में किया जाता है।

सुरक्षा के लिए मतगजेंद्र को मिली थी जिम्मेदारी

पुराणों के अनुसार भगवान राम जब लंका विजय प्राप्त कर अयोध्या पहुंचे थे। उसके बाद जब भगवान राम साकेतवास धाम के लिए जाने से पहले अयोध्या के राजा के रूप में हनुमान जी और सुरक्षा के लिए कोतवाल के रूप में विभीषण के पुत्र मतगजेंद्र को जिम्मेदारी सौंप दी थी।

बुढ़वा मंगल के रूप में लगता है मेला

तभी से भगवान मतगजेंद्र को अयोध्या कोतवाल माना जाता है। उसी दिन से परंपरागत अनुसार भगवान मत गई इनकी पूजा-अर्चना प्रतिवर्ष की जाती है। जिसे बुढ़वा मंगल भी माना जाता है।

मंदिर पे हरे चने चढ़ाने का है रिवाज

वह बुढ़वा मंगल पर भगवान मतगजेंद्र को मुख्य रूप से हरे चने चढ़ाए जाने का भी रिवाज है। माना जाता है कि भगवान मतगजेंद्र को हरे चने बहुत ही प्रिय थे।

भगवान को भोग में लगतें हरे चने

जिसके कारण आज भी श्रद्धालु भगवान को प्रसन्न करने के लिए हरे चने चढ़ाए जाते हैं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

विक्रमादित्य के द्वारा मंदिर का हुआ था निर्माण

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि कलयुग में महाराजा विक्रमादित्य के द्वारा सबसे पहला मंदिर का जीर्णोद्धार मतगजेंद्र जी का किया गया था।

मंदिर में निभाई जाती है उत्सव की अनूठी परंपरा

आज भी इस मंदिर में पूजन अर्चन का विशेष महत्व होता है। यहां पर प्रत्येक वर्ष होने वाली उत्सव की सैकड़ों वर्ष पूर्व से परंपरागत चलती आ रही है।


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