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बोले इकबाल अंसारी : वसीम रिज़वी लखनऊ में बनवाना चाहते थे मस्जिद अब श्री रविशंकर बस्ती में बनवायेंगे मस्जिद

अयोध्या के साधू संतों के बिना कैसे हल हो सकता है राम मंदिर मुद्दा किसी ने नही की हिन्दू पक्षकारों से बात -आचार्य सतेन्द्र दस ,मुख्य पुजारी रामलला

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Muslim pakshkar Statment On Shri Ravishankar Initiative On Mandir

अयोध्या . बेंगलुरु में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से मिलने पहुंचे मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्यों की मुलाकात पर सवाल जवाब तेज हो गए हैं बताते चलें कि गुरुवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों का प्रतिनिधिमंडल श्री श्री रविशंकर से मुलाकात करने पहुंचा था ,जहां पर अयोध्या में विवादित परिसर के अंदर राम मंदिर के निर्माण और उस स्थान से हटकर मस्जिद के निर्माण की बात पर चर्चा हुई है ,इन खबरों के मीडिया में आने के बाद अब यह सवाल उठ गया है कि अयोध्या में मंदिर मस्जिद विवाद पर सुलह-समझौते की कोशिशें पहले भी हो चुकी हैं लेकिन सभी कोशिशें नाकाम रही हैं .ऐसे में एक और नई कोशिश से उम्मीद कितनी जायज है वह भी तब जब इस मुकदमें पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है और दोनों ही पक्ष के मुख्य पक्षकारों को उम्मीद है कि जल्द ही देश की सबसे बड़ी अदालत देश के सबसे बड़े मुकदमे पर अपना फैसला दे देगी . आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्यों के बीच मंदिर मस्जिद के हल के लिए हुई मुलाकात पर अयोध्या में हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षकारों ने सवाल उठाया है .दोनों का कहना है कि जब तक इस मुकदमे के मुख्य पक्षकार आमने-सामने बैठकर किसी विषय पर हम ही न करें तब तक समझौता कोई बाहरी व्यक्ति कैसे कर सकता है जिसका इस मुकदमे में कोई किरदार नहीं है .

सिर्फ सुर्खियाँ बटोरने के लिए इस्तेमाल हो रहा है मंदिर मस्जिद मुद्दा धरातल पर नही हो रहा कोई काम ?

इस नई कहानी पर अयोध्या में बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य मुद्दई रहे मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने कड़ा एतराज जताया है . इकबाल अंसारी ने कहा कि यह कोई नहीं कोशिश नहीं है इससे पहले शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी भी आए थे आए थे और उन्होंने मस्जिद लखनऊ में बनाने की बात कही थी . इस मामले को लेकर अपनी राजनीति चमकाने के लिए अक्सर लोग नए नए मसौदे बनाते हैं कोई गोंडा बस्ती में मस्जिद बनाना चाहता है तो कोई लखनऊ में . लेकिन सच तो यह है कि जब तक इस मुकदमे के मुख्य पक्षकारों के बीच कोई बात नहीं होती तब तक सुलह-समझौते जैसी कोई बात ही नहीं है . सिर्फ राजनीति और टीवी और अखबारों में अपनी फोटो चमकाने के लिए लोग अयोध्या के मंदिर मस्जिद झगड़े का प्रयोग करते चले आ रहे हैं .श्री श्री रविशंकर मुझसे मिलने आए थे लेकिन उन्होंने इस तरह के किसी समझौते की बात मुझसे नहीं की और आज वह दावा कर रहे हैं कि मुस्लिम समाज के लोग उनके साथ मिलकर समझौते की कोशिश में लगे हैं . जबकि सही बात यह है कि मुकदमे के मुख्य पक्षकार उनसे मिलने ही नहीं गए यह सारी कवायद सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट है हमारा पल से कोई लेना देना नहीं है .

अयोध्या के साधू संतों के बिना कैसे हल हो सकता है राम मंदिर मुद्दा किसी ने नही की हिन्दू पक्षकारों से बात -आचार्य सतेन्द्र दास ,मुख्य पुजारी रामलला

अयोध्या में राम जन्मभूमि विवादित परिसर के अंदर में क्षेत्र स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्यों के बीच हुई मुलाकात और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के विषय में हुई बातचीत को लेकर कहा कि यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि राम मंदिर बनाने की बात हो रही है और अयोध्या के साधु संतों को विश्वास में नहीं लिया गया ना ही हमें कोई जानकारी दी गई है .जब तक अयोध्या के साधु संतों से बात नहीं की जाएगी मुख्य पक्षकारों को साथ नहीं लिया जाएगा तब तक समझौते जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती . अब यह मुकदमा अपने आखिरी पड़ाव पर है ऐसे में यह भी देखने वाली बात है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सुलह समझौते की बात कर इस मुकदमे को लंबा खींचने की योजना हो क्योंकि इससे पहले भी अयोध्या में मंदिर बनाने और किसी अन्य स्थान पर मस्जिद बनाने की बात हो चुकी है . लेकिन इस पर मुस्लिम पक्ष के लोग ही राजी नहीं हुए फिर अचानक यह बात कहां से शुरू हो गई पहले भी विवादित परिसर में मुस्लिम पक्ष को दी जाने वाली जमीन के बदले किसी अन्य स्थान पर दुगनी मात्रा में जमीन देने की बात कहीं जा चुकी है . लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इसे नहीं माना था ऐसे में अब समझौते की बात कहां से आ गई बिना अयोध्या के संतों को साथ लिए राम मंदिर के मुद्दे पर कोई बात नहीं हो सकती .


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