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श्रावण मास में नागेश्वर नाथ पर जल चढ़ाने से मिलता हैं मनोवांछित फल

17 जुलाई से प्रारंभ होगा श्रावण मास में लाखों कांवड़ियां पहुंचेंगे अयोध्या

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श्रावण मास में नागेश्वर नाथ पर जल चढ़ाने से मिलता हैं मनोवांछित फल

अयोध्या : 17 जुलाई से श्रावण मास के साथ कांवड़ यात्रा का प्रारम्भ होते ही देश भर से लाखों की संख्या में कांवड़ियां अयोध्या पहुंच 108 ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर नाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ पर जलाभिषेक करेंगे। अयोध्या के सरयू तट स्थित यह मंदिर अत्यंत प्राचीन व ऐतिहासिक मंदिर हैं ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जलाभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ।

अयोध्या के सरयू तट स्थित नागेश्वर नाथ महादेव बहुत ही प्राचीन मंदिर हैं। इस महत्व शिव पुराण के अनुसार, एक बार नौका बिहार करते समय उनके हाथ का कंगन पवित्र सरयू में गिर गया, जो सरयू में वास करने वाले कुमुद नाग की पुत्री को मिल गया। यह कंगन वापस लेने के लिए राजा कुश तथा नाग कुमुद के मध्य घोर संग्राम हुआ। जब नाग को यह लगा कि वह यहां पराजित हो जायेगा तो उसने भगवान शिव का ध्यान किया। भगवान ने स्वयं प्रकट होकर इस युद्ध को रुकवाया। कुमुद ने कंगन देने के साथ भगवान शिव से अनुरोध किया कि उनकी पु्त्री कुमुदनी का विवाह कुश के साथ करा दें। इस प्रस्ताव को महाराज कुश ने स्वीकार किया और भगवान शिव से यह अनुरोध किया कि वे स्वयं सर्वदा यहीं वास करें। भगवान शिव ने उनकी इस याचना को स्वीकार कर लिया। नागों के ध्यान करने पर भगवान शिव प्रकट हुए थे, जिस कारण इसे नागेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है। इसके बाद राजा कुश ने अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थाापना की, जो आज भी पूरे देश में रहने वाले शिव भक्तों की आस्था का केंद्र है। जिसके कारण देश कोने कोने से शिव भक्त कावड़ यात्रा में सबसे पहले अयोध्या में नागेश्वर नाथ को जल चढ़ाते हैं ।


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