
अयोध्या के वो लोग जिन्हें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में मिली है बड़ी ज़िम्मेदारी
अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित संविधान पीठ द्वारा अयोध्या के बहुप्रतीक्षित राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर बीते वर्ष 9 नवंबर को दिए गए सुप्रीम फैसले के बाद जहां अब पूरी भूमि रामलला को सौंपी जा चुकी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अब राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन भी केंद्र सरकार ने कर दिया है और बाकायदा ट्रस्ट में शामिल होने वाले सदस्यों के नामों की सूची भी जारी हो गई है। लेकिन इसी के साथ अब एक नई रस्साकशी का दौर भी शुरू हो गया है। क्योंकि इस ट्रस्ट में उन तमाम नामों को जगह नहीं मिली है जिनकी चर्चा ट्रस्ट के गठन होने के निर्देश के बाद से ही शुरू हो गई थी। ट्रस्ट में अयोध्या के किसी वरिष्ठ संत को स्थान न मिलने और ट्रस्ट का मुख्यालय दिल्ली में खोलने को लेकर अयोध्या के संतों ने जहां नाराजगी जाहिर की है | वही ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में जिनका नाम तय किया गया है। उस पर भी सवाल उठाए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जिन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है वह कौन है और उनकी पहचान क्या है |
राम मंदिर आन्दोलन में परिवार समेत गिरफ्तारी देने वाले अयोध्या राज परिवार के मुखिया हैं बिमलेंद्र इंद्र मोहन प्रताप मिश्र
मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सबसे बड़ी पंचायत में खड़े होकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की घोषणा कर दी | जिसके बाद देर शाम इस ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की लिस्ट भी जारी हो गई इस ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में अयोध्या राजवंश परिवार के मुखिया बिमलेंद्र इंद्र मोहन प्रताप मिश्र को ज़िम्मेदारी दी गयी । एक संक्षिप्त परिचय के रूप में आपको बताते चलें कि अयोध्या राजवंश परिवार की मुखिया बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र के परिवार में उनके पत्नी और उनके एक बेटा बेटी भी है | 65 साल की उम्र के बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अयोध्या एस्टेट ट्रस्ट के संचालन के लिए बने धर्म प्रताप सेतु वक्फ के चेयरमैन है। अयोध्या में सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्था विमला देवी फाउंडेशन के अध्यक्ष है। अयोध्या में महाराजा इंटर कॉलेज के प्रबंधक है और साकेत महाविद्यालय के आजीवन प्रबंध न्यासी भी है | वही राम मंदिर आंदोलन में भूमिका के रूप में सन 1989 में जब राम मंदिर आंदोलन को लेकर गिरफ्तारी का दौर शुरू हुआ। उस समय सबसे पहले अयोध्या राज परिवार के मुखिया के रूप में महेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने अपने परिवार समेत गिरफ्तारी दी थी तत्कालीन भाजपा नगर अध्यक्ष कमलाकांत सुन्दरम के मुताबिक़ उनकी सकारात्मक भूमिका के लिए उन्हें सन ९१ में फैजाबाद संसदीय सीट से भाजपा से टिकट भी ऑफर किया गया लेकिन उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। जिसके बाद से बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र अपने निजी जीवन में व्यस्त रहे। और राजनैतिक उथल-पुथल से दूर रहे | हालांकि वर्ष 2009 में उन्होंने बसपा के टिकट पर फैजाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए उनकी मां महारानी विमला देवी उनके चुनाव लड़ने के खिलाफ भी रहीं ।
शहर के प्रसिद्ध होम्योपैथ के डाक्टर हैं अनिल मिश्र संघ के जिले के बड़े नेता में होते हैं शुमार
राम जन्म भूमि ट्रस्ट में एक और नाम जो चर्चा का केंद्र है वह है डॉ अनिल मिश्रा का | मूल रूप से अयोध्या के पड़ोसी जनपद अंबेडकर नगर के रहने वाले उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के निदेशक 65 वर्षीय अनिल मिश्र वर्तमान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अवध प्रांत के कार्यवाहक हैं | इसके अलावा वह पेशे से होम्योपैथ के मशहूर डॉक्टर है और शहर के रिकाबगंज में अपना क्लीनिक भी चलाते हैं और संगठन के लिए भी कार्य करते रहे हैं। डॉक्टर अनिल मिश्र के परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दो बेटे और बहू है दोनों बेटे भी पेशे से डॉक्टर हैं। डॉ अनिल मिश्र को भी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में जगह मिली है। भले ही इन्हें ट्रस्ट में स्थान मिला हो लेकिन इससे पूर्व इनके नाम की चर्चा किसी ने नहीं की थी और यह नाम भी अप्रत्याशित ही है।
Published on:
06 Feb 2020 05:41 pm
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