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#Rammandircase : मुकदमे के ही एक और पक्षकार पर लगा था निर्मोही अखाड़े के जमीन से जुड़े दस्तावेज चुराने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने अखाड़े से मांगे है जमीन से जुड़े दस्तावेज,निर्मोही अखाड़े ने कहा 16 फरवरी 1982 को डकैती में चोरी हो गये दस्तावेज

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Ram Mandir

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अनूप कुमार
अयोध्या : राम जन्म भूमि बाबरी मस्जिद ( Ram Janm Bhoomi babari Masjid Case ) जमीनी विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में चल रही सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( CJI Ranjan Gogoi ) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़ा ( nirmohi akhada ) के दावे को लेकर संबंधित 2.77 एकड़ भूमि के दस्तावेज पेश करने को कहा है ,लेकिन निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने ये कहते हुए दस्तावेज पेश करने में कठिनाई जताई है कि सन 1982 में एक डकैती की घटना में जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज चोरी हो गए . इस मामले पर निर्मोही अखाड़ा के पूर्व पैरोकार महंत रामदास ( Mahant Ramdas) ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता की दलील सही है 16 फरवरी 1982 को निर्मोही अखाड़ा में डकैती पड़ी थी जिसमें मंदिर के सोने के आभूषण समेत जमीन के दस्तावेज भी डकैत उठा ले गए थे। लेकिन बड़ी बात ये है कि इस डकैती में जिन्हें आरोपी बनाया गया वो कोई और नहीं बल्कि इस मुकदमे के एक अन्य पक्षकार और वर्तमान में निर्वाणी अनी अखाड़ा हनुमानगढ़ी ( Hanuman Gadhi ) के महंत धर्मदास ( Mahant Dharm Das ) समेत 17 लोग थे इनके खिलाफ अयोध्या कोतवाली ( Ayodhya Kotwali ) में मुकदमा दर्ज हुआ था लेकिन साक्ष्य के अभाव में दिसंबर 1985 में ही महंत धर्मदास समेत सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो गए थे. इसी साक्ष्य को निर्मोही अखाड़ा को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court on Ram Mandir ) में पेश करना है या फिर अन्य कोई साक्ष्य पेश कर निर्मोही अखाड़ा अपना दावा मजबूत कर पायेगा .

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सुप्रीम कोर्ट ने अखाड़े से मांगे है जमीन से जुड़े दस्तावेज,निर्मोही अखाड़े ने कहा 16 फरवरी 1982 को डकैती में चोरी हो गये दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर बाबरी मस्जिद ( Babari Masjid Case ) मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़ा के जमीन के टाइटल सूट पर जमीन का साक्ष्य मांगा है , लेकिन निर्मोही अखाड़ा जमीन पर कब्जे से जुड़ा साक्ष्य नहीं दे पाया है . दरअसल 16 फरवरी 1982 को निर्मोही अखाड़ा में डकैती पड़ी थी जिसमें अखाड़ा के सर्वराकार सिया राघव शरण द्वारा दी गई तहरीर में भगवान की आभूषण चार तोला के पांच मुकुट चार सोने की माला सोने की जंजीर पांच चांदी की छड़े 6 चांदी का मुकुट 12 सोने का तिलक 12 चांदी का तिलक सहित पीतल स्टील लोहे के बड़ी संख्या में बर्तन का डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ था. निर्मोही अखाड़ा के पूर्व पैरोकार महंत रामदास की मानें तो 16 फरवरी 1982 को करीब सुबह 5:30 पर जब सिया राम राघव शरण अपने मंदिर में बैठे थे तभी अचानक राम लखन शरण चेला धनुषधारी रामलाल चेला रामबालक शरण धरमदास चेला अभिराम दास महंत हनुमान गढ़ी जिसमें से 10 लोगों को पहचाना गया था कि सभी लोग पहुंचकर सोने के आभूषण व जमीन के दस्तावेज उठा ले गए लेकिन साक्ष्य के अभाव में दिसंबर 1985 को कोर्ट ने महंत धर्मदास समेत सभी आरोपी बाइज्जत बरी कर दिया था. टाइटिल सूट को लेकर निर्मोही अखाड़ा को इसी जमीन का साक्ष्य सुप्रीम कोर्ट में पेश करना है.

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