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रामराज्य दिग्विजय यात्रा के साथ संतो ने की राम मंदिर की परिक्रमा

भारत और नेपाल के राज्यों का भ्रमण कर 60 दिनों के बाद वापस अयोध्या पहुंची। जहां रामराज्य दिग्विजय के साथ भक्तों ने की रामकोट की परिक्रमा इस दौरान स्थान स्थान पर स्वागत भी किया गया।

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रामराज्य दिग्विजय यात्रा के साथ संतो ने की राम मंदिर की परिक्रमा

रामराज्य दिग्विजय यात्रा के साथ संतो ने की राम मंदिर की परिक्रमा

श्री राम दिग्विजय रथ यात्रा ने आज विराजमान रामलला स्थल के चारों ओर रामकोट की परिक्रमा की,जिसका जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया,लोगों ने रथ के करीब आकर दिव्य ज्योति का आचमन किया और उन्हें टीका लगाकर राम राज्य की अवधारणा के लिए संकल्पित किया गया,यह रथ यात्रा राम राज्य,धर्म,सामाजिक समन्वय और राष्ट्र की एकता की स्थापना का संकल्प लेकर अयोध्या से 5 अक्टूबर को निकली और 60 दिनों बाद अयोध्या वापस पहुंची,इस बीच रथयात्रा ने भारत और पड़ोसी देश नेपाल के 27 राज्यों का भ्रमण किया,जिसमें विभिन्न जाति समूह,सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश और अन्यान्य रीति-रिवाजों के बीच समय गुजारा, यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ।

युवाओं की शिक्षा में रामायण को शामिल करने की मांग

रामराज्य दिग्विजय यात्रा की अगुवाई कर रहे शास्त्री शांतानंद ने बताया कि 5 अक्टूबर विजयदशमी के शुभ अवसर पर इस यात्रा का प्रारंभ हुआ था 2 महीना भारत और नेपाल यात्रा के बाद हम यहां पहुंचे हैं और आज दिग्विजय यात्रा के संकल्प में रामकोट परिक्रमा की है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पुनः राम राज्य की स्थापना है। लेकिन तीन प्रमुख मुद्दों को लेकर या रथयात्रा चला था बताया कि राम मंदिर का निर्माण चल रहा है लेकिन सिर्फ इससे ही रामराज की स्थापना पूरा नहीं हो पाएगा। इसमें और भी कुछ बाकी है उसमें सबसे पहले रामायण के बिना रामराज असंभव है इसलिए अगली पीढ़ियों को रामायण सिखाना है इसलिए भारत की शिक्षा में रामायण को शामिल करना इसकी मांग हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हैं।

आक्रमणकारी और मुगली इतिहास से बाहर हो भारत

वही हमारे देश भी दो तीन नामों से जाना जाता है लेकिन अभी भी आजादी के बाद हमारे सरकारी अभिलेखों व पासपोर्ट व अन्य पहचान पत्रों में इंडियन भरा जा रहा है हम लोग इंडियन नहीं है हमारा देश भारत है और हम भारतवासी हैं। या नाम आक्रमणकारी लोगों के द्वारा दिया गया इसलिए इन अभिलेखों में भी भारत से लिखा जाए तो वहीं तीसरा मांग है कि जो इतिहास आज पढ़ा जा रहा है वह वास्तव में भारत का वास्तविक इतिहास नहीं है वह सिर्फ आक्रमणकारियों का इतिहास है बाबर का गौरी का सहित अन्य कई मुगल शासकों के इतिहास को पढ़ाया जाता है लेकिन कहीं पर भी भगवान राम और भगवान कृष्ण का इतिहास लाखों राम भक्त संत धर्माचार्य देश के मुक्ति के लिए स्वतंत्रता के लिए और राम जन्मभूमि के लिए लड़ाई किया है और अपना जीवन बलिदान किया है उन लोगों का भी इतिहास हमारी शिक्षा में शामिल करना इन मांगों को लेकर क्या जात यात्रा आगे चल रहा है।

रामराज्य स्थापना के उद्देश्य से निकाली गई थी यात्रा

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि रामराज्य दिग्विजय रथयात्रा 5 अक्टूबर में प्रारंभ हुई थी 60 दिनों तक लगातार यह यात्रा चलती रहे अब यात्रा समापन की तरफ है भगवान राम के जन्म स्थान की परिक्रमा दिग्विजय रामराज्य रथ यात्रा कर रही है रामकोट परिक्रमा के जरिए दिग्विजय रामराज्य रथ यात्रा राम जन्म भूमि, हनुमानगढ़ी और कनक भवन की परिक्रमा करेगी समाज को जोड़ने और एक साथ लेकर चलने के लिए जो रामराज्य की परिकल्पना की गई है उसको साकार रूप देने के लिए यात्रा उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निकाली गई है।


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