राम मंदिर आंदोलन के दौरान बलिदान हुए कारसेवकों का पितृपक्ष में श्राद्ध और तर्पण करने किया जाएगा
राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव से पहले श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन से लेकर आज तक राम मंदिर के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले कारसेवकों राम भक्तों की आत्मा की शांति के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के द्वारा आयोजित राम चरित मानस परायण अनुष्ठान आज समाप्त हो गया। जिसके पूर्ण आहुति के लिए 13 अक्टूबर कल शुक्रवार को सरयू के तट पर मुक्ति के लिए दीपदान करेंगे।
सरयू तट पर दीप जला कर होगी श्रद्धांजलि
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि इस समय पितृपक्ष चल रहा है यह वह काल है जब मृत आत्माओं की शांति के लिए विभिन्न कर्मकांड किए जाते हैं. राम मंदिर आंदोलन के लिए भी बड़ी संख्या में राम भक्तों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया है. उनमें कुछ लोगों के नाम और उनका परिचय हमारे पास मौजूद है लेकिन ज्यादातर लोगों के परिचय हमारे पास नहीं है. उन सभी की आत्मा की शांति और उनकी मुक्ति के लिए 13 अक्टूबर की शाम 6:00 बजे से लेकर 7:00 बजे के बीच हम राम की पैड़ी परिसर में पहुंचकर हुत आत्माओं की शांति और उनकी मुक्ति के लिए दीपदान करेंगे।
अयोध्या में 9 दिन का होगा अनुष्ठान
वहीं बताया कि कांची काम कोटि के जगतगुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती मंगलवार की देर रात अयोध्या के प्रमोद वन स्थित अपने आश्रम में पहुंच चुके हैं. वह 30 अक्टूबर तक अयोध्या में प्रवास करेंगे.राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राण न्योछावर करने वाले राम भक्तों की आत्मा की शांति के लिए होने वाले आयोजनों में हमने अनुष्ठान की भी योजना बनाई है जो की नवरात्र तक चलेगा. इस अनुष्ठान में जगतगुरु शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती के आश्रम से जुड़े दो विद्वान मां भगवती की आराधना कर पूजा अर्चना करेंगे जिससे दिवंगत राम भक्तों की आत्मा को मुक्ति मिले।