
Ram Mandir Babari Masjid Case : मुस्लिम पक्ष की अपील मंदिर के खिलाफ, हिंदू पक्ष की अपील में एकता नहीं, हैं एक दूसरे के विरोधी,Babari Masjid Ram Mandir Case : कोर्ट ने पूछा जमीन पर कब्जे से जुड़े दस्तावेज दिखाए निर्मोही अखाड़ा आज रामलला विराजमान रखेंगे अपना पक्ष
अयोध्या : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) में चल रहे अयोध्या के राम जन्मभूमि ( Ram Janm Bhoomi ) बाबरी मस्जिद ( babari masjid ) विवाद की नियमित सुनवाई की कड़ी में गुरुवार को भी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( CJI Ranjan ) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने मुकदमे के पक्ष कार अपना पक्ष रखेंगे . गुरुवार को इस मुकदमे से जुड़े एक अहम पक्षकार रामलला विराजमान ( Ramlala Virajman ) की तरफ से बहस होगी . इससे पूर्व बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान रामलला विराजमान की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई थी कि भक्तों की अटूट आस्था प्रमाण है कि अयोध्या में विवादित स्थल ही भगवान राम ( Lord Ram ) का जन्म स्थान है . इसे हम सदियों बाद कैसे साबित कर सकते हैं . जिस पर संविधान पीठ ने पूछा कि क्या जीसस जैसे किसी अन्य धार्मिक व्यक्तित्व के जन्म स्थान को लेकर ऐसा सवाल किसी कोर्ट में उठाया गया था इसके जवाब में रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने कहा कि इस विषय को पता करके बताएंगे .
रामलला विराजमान के अधिवक्ता ने किया दावा उदाहरण पौराणिक ग्रंथों में मिले हैं जिनमें या साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहां राम ने जन्म लिया था
बुधवार को रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने कहा कि ऐसे उदाहरण पौराणिक ग्रंथों में मिले हैं जिनमें या साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वह स्थान है जहां राम ने जन्म लिया था. इतना ही नहीं अधिवक्ता परासरण ने यह भी कहा कि ब्रिटिश राज में ईस्ट इंडिया कंपनी ( East India Compony )ने जब इस स्थान का बंटवारा किया तो मस्जिद की जगह को राम जन्म स्थान का मंदिर माना था . वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने कहा कि श्री राम का जन्म होने के कारण ही हिंदुओं के लिए यह जगह ज्यादा पूज्य है . वाल्मीकि रामायण ( Valmiki Ramayan ) का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं विष्णु ( lord Vishnu ) ने देवताओं से कहा कि वह अयोध्या में दशरथ राजा के यहां मानव के रूप में जन्म लेंगे . सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक समय ऐसा भी आया जब सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान की तरफ से बहस कर रहे 92 साल के वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण से कहा कि आप चाहे तो बैठकर भी अपनी दलील रख सकते हैं लेकिन अधिवक्ता परासरण ने बेहद विनम्रता से कहा कि परंपरा इसकी इजाजत नहीं देती इसलिए मैं खड़े होकर ही अपनी बात रखूँगा .
जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता से कहा दावेदारी से जुड़े दस्तावेजों का चार्ट बनाएं तब होगी सुनवाई
बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़े ( nirmohi akhada ) के अधिवक्ता के विवादित भूमि पर कब्जे से जुड़े दावे को लेकर कहा कि वह अपनी दावेदारी को लेकर तमाम दस्तावेज लेकर आएं और उसका एक चार्ट बनाएं इसके बाद ही उनकी सुनवाई होगी . अब निर्मोही अखाड़े को दस्तावेज देने हैं . वहीं सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता परासरण ने अपनी बात कहते हुए कहा कि जब कोर्ट किसी संपत्ति को जब्त करता है तो कब्जाधारी के अधिकार को मामले के निपटारे तक छीना नहीं जाता .
निर्मोही अखाड़े ने कोर्ट के समक्ष कहा मामला जमीन पर मालिकाना हक़ का नही बल्कि कब्जे का
सीजेआई ने निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता से राम जन्म भूमि ( Ram Janm Bhoomi ) के सरकारी कब्जे से पहले के रिकॉर्ड के बारे में भी पूछा , सीजेआई ने कहा कि इस मामले में संबंधित रिकॉर्ड कोर्ट के सामने रखे जाएं . निर्मोही अखाड़े के अधिवक्ता ने कहा कि सन 1982 में एक डकैती के दौरान यह सभी दस्तावेज नष्ट हो गए . जिसके बाद सीजेआई ने यह सवाल किया कि अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़े कोई दूसरे साक्ष्य है तो वह कोर्ट के सामने रखें जाएँ .सुप्रीम कोर्ट के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उस भूमि पर मालिकाना हक की लड़ाई नहीं है यह कब्जे की लड़ाई है . इस जमीन पर शुरू से अखाड़े का कब्जा रहा है लिहाजा मामला कब्जे का है . अधिवक्ता सुशील जैन ने यह भी कहा कि अखाड़ा पंजीकृत संस्था है हमारा केस मूल रूप से संपत्ति और प्रबंधन को लेकर है .
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ( Ranjan Gogoi ) की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने रामलला विराजमान की तरफ से अपना पक्ष रखा जाएगा साथ ही बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जिन दस्तावेजों की मांग की थी निर्मोही अखाड़ा वह दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है .
Published on:
08 Aug 2019 12:05 pm
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