
समर्थ रामदास महाराज आश्रम के पुजारियों का दावा है कि मूर्तियां बाबर के हमले से ठीक पहले राम मंदिर के पुजारियों ने वहां से निकालकर दावण गेरे तक पहुंचा दिया था। इस बारे में आश्रम के एक शिलालख भी मौजूद हैं। कर्नाटक के दावणगेरे में समर्थ नारायण महाराज का आश्रम है। पुजारियों का दावा है कि आश्रम में राम मंदिर में रखीं मूल मूर्तियां रखी गई हैं। ये मूर्तियां मंदिर पर बाबर के हमले से ठीक पहले यहां के पुजारियों ने गायब कर दी थी। इन मूर्तियों को रातोंरात कर्नाटक के इस आश्रम में पहुंचा दिया गया था।
पुजारियों ने शिलालेेख के हवाले से किया दावा
आश्रम के पुजारियों ने एक शिलालेख के हवाले से यह दावा किया है। उन्होंने अपनी बातों की सत्यता की जांच कराने की चुनौती भी दी है। आश्रम के पुजारी के का कहना है कि भगवान राम की मूर्ति कन्नडिगा से बनी है। इसमें इस्तेमाल किया गया पत्थर कर्नाटक का है। पुजारियों ने दस्तावेजों और शिलालेख के हवाले से दावा किया है कि अयोध्या में राम मंदिर का खतरा आया तो वहां के पुजारियों ने राम, लक्ष्मण और सीता की मूल मूर्तियों को गायब कर दिया।
रातोंरात मूर्तियों को आश्रम पहुंचाया
रातोंरात मूर्तियों को दावणगेरे आश्रम पहुंचा दी गई थीं। दावणगेरे के हरिहर में तुंगभद्रा नदी के तट पर श्री समर्थ नारायण महाराज के पूर्वजों को सौंपी गई थी। तब से इन्हें यही सुरक्षित रखा गया है। इन मूर्तियों की वजह से इस आश्रम का नाम दूसरी अयोध्या भी है। पुजारी के दावे के अनुसार इस आश्रम में करीब साढ़े 5 सौ साल से मूर्तियां पूजी जा रही हैँ और यही असली मूर्तियां हैं। समर्थ नारायण महाराज और उनका आश्रम साल 1986 में सुख्रियों में था। उस समय उन्होंन अश्वमेघ यज्ञ किया था।
पुजारी ने सत्यता का किया दावा
पुजारी के अनुसार समर्थ नारायण महाराज खुद बाल भिक्षु थे। इसके बाद वो गृहस्थ बने। देशटन भी किए। आखिर में 5 जुलाई 1990 को उन्होंने अपना देह त्याग दिया। अब उनकी बेटी और बेटा प्रभुदत्त महाराज आश्रम की देखरेख करते हैं। समर्थ नारायण महाराज बाबरी मस्जिद राम मंदिर विवाद में प्रतिवादी भी थे। पुजारी ने दावा किया कि उनकी बातें तथ्यों पर आधारित हैं। इसके बाद भी कुछ लोग नकारते हैं। तमाम वैज्ञानिक उपााय हैं, जिनसे इन मूर्तियों की वास्तविकता प्रमाणित हो सकती हैं।
Published on:
02 Jan 2024 04:14 pm
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