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अंदर ही अन्दर पक रही है खिचड़ी, राम मंदिर निर्माण को लेकर संत जल्द करेंगे फैसला 

विकास के नाम का एक ऐसा झंडा है, जिसे उठाकर हर साल चुनाव लड़ा जाता है लेकिन सियासतदां ये बखूबी जानते है कि सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव लड़कर जीत हासिल करना मुमकिन नही होगा

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Sujeet Verma

May 05, 2016

ayodhya

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अनूप कुमार
अयोध्या.यूपी की सियासत पांच साल बाद एक बार फिर परवान चढ़ने वाली है। साल 2017 यूपी में चुनाव को देखते हुए सभी-छोटे बड़े सियासी दलों ने अपने मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं। विकास के नाम का एक ऐसा झंडा है, जिसे उठाकर हर साल चुनाव लड़ा जाता है लेकिन सियासतदां ये बखूबी जानते है कि सिर्फ विकास के नाम पर चुनाव लड़कर जीत हासिल करना मुमकिन नही होगा। लिहाजा जब तक सियासत में जाति, धर्म, अगड़ा, पिछड़ा की राजनीति का तड़का न लगे, तब तक चुनावी माहौल ही नहीं बनता है।

हालांकि, इस बार यूपी की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प और गंभीर है। अरसे से सूबे की सियासत में अहम किरदार निभाने वाली अयोध्या और राम मंदिर मुद्दे को लेकर न सिर्फ प्रदेश के एक बड़े राजनीतिक दल, बल्कि उसका समर्थन करने वाले अयोध्या के साधू- संतों के बीच अंदरखाने में क्या पक रहा है, इस बात की खबर किसी को नही हैं।

शुरू हुआ पत्थर तराशने का काम
बीते दिसंबर महीने में अयोध्या के कारसेवकपुरम परिसर मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने के बंद पड़े काम को अचानक शुरू कर दिया गया और शेष काम को पूरा करने के लिए जयपुर से पत्थरों की खेप मंगाई जाने लगी। अयोध्या में मणिराम दस छावनी के महंत और श्री राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की मौजूदगी में विश्व हिन्दू परिषद के लोगों और अयोध्या के साधू-संतों ने शिलापूजन का कार्यक्रम किया और मंदिर निर्माण न्यास से जुड़े संतों ने जल्द ही मंदिर निर्माण का बयान देकर सनसनी फैला दी थी। इसके बाद इस मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष ने कड़ी नाराजगी जताई थी और इसे कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताया था।

विहिप के लिए काम कर चुके केशव प्रसाद मौर्या का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चयन
खुद पर धर्म की सियासत का आरोप झेलने वाली भाजपा और उसके नेता हमेशा से समाज को यह सन्देश देने की कोशिश करते रहे हैं कि वह विकास के नाम पर देश की सुरक्षा के नाम पर देश की तरक्की के नाम पर राजनीति करते आये हैं, लेकिन ऐन चुनाव से पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक ऐसे नेता का चुनाव किया जोकि कट्टर हिन्दूवादी छवि रखने वाले संगठन विश्व हिन्दू परिषद् के लिए लम्बे समय तक कम कर चुके थे। ऐसे नेता को सूबे की कमान और मिशन 2017 की ज़िम्मेदारी देकर खुद भाजपा ने खुद पर सवाल खड़े कर लिए। हालांकि, भाजपा के बड़े नेता और खुद केशव प्रशाद मौर्या भी अयोध्या में मंदिर मुद्दे से खुद को अलग करते रहे हैं।

रामजन्म भूमि न्यास अध्यक्ष का मंदिर निर्माण को लेकर बयान
श्री रामजन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास ने अयोध्या में विवादित भूमि पर मन्दिर निर्माण के संबंध में कुछ ही दिनों पहले बयान दिया था कि राम राज में देर है, अंधेर नहीं है। जिस स्थान पर रामलला विराजमान है, उस स्थान पर मंदिर निर्माण में थोड़ा सा अदालत के फैसले की बाधा है, जो शीघ्र दूर हो जायेगी और उस स्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। श्री दास ने यह भी कहा था कि अदालत के फैसले के अलावा साधू-संत और धर्माचार्य देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को राम मंदिर निर्माण के लिए प्रेरित करेंगे। न्यास अध्यक्ष के इस बयान को लेकर भी आशंका जताई जा रही है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर संतों में बढ़ती सरगर्मी और उनकी बयानबाजी बेवजह नहीं है, कहीं न कहीं इसके निहितार्थ अवश्य हैं।

उज्जैन के सिंहस्थ कुम्भ में विहिप की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक
अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण को लेकर जहां श्री राम जन्म भूमि न्यास और विश्व हिन्दू परिषद् जैसे संगठन दृढ संकल्पित है। वहीं, इस मामले को लेकर उज्जैन के सिंहस्थ कुम्भ में आयोजित होने वाली विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक और संत सम्मलेन में भाजपा नेताओं के शामिल होने को लेकर यूपी की सियासत में विपक्षी दलों को भाजपा को घेरने का एक बड़ा मौक़ा मिल सकता है। यह पूरा आयोजन विहिप और भाजपा मिलकर कर रहे हैं। इसमें शामिल होने देश साधू-संत उज्जैन पहुंच रहे हैं।

इस मीटिंग में राम मंदिर निर्माण की भावी रणनीति तय की जाएगी। इसके अलावा जनसंख्या असंतुलन, सामाजिक समरस्ता व गौ,गंगा एवं आंतकवाद जैसे विषय भी बैठक में चर्चा का विषय होंगे। हालांकि, विहिप और भाजपा के लिए ये मुद्दे नए नहीं है, लेकिन मिशन 2017 को देखते हुए बीजेपी संतों के जरिये इस मुद्दे को हवा देकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर सकती है। इन संतों की अगुवाई श्री राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास कर रहे हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक में साधू संतो की टीम अयोध्या में मंदिर निर्माण को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।

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