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UP Travel Guide : अयोध्या के ये पांच स्थल भगवान श्रीराम की मौजूदगी का आज भी कराते हैं अहसास

खबर के मुख्य बिंदु -भगवान श्रीराम ने जिन स्थलों पर की थीं बाललीलाएं वहां आज पहुंचते ही आज भी रोम-रोम हो उठता है पुलकित-सरयू नदी की कल-कल में सुनी जा सकती है बाल स्वरूप राम की खिलखिलाहट-रामकोट के प्रमुख मंदिरों ने संजो रखी है भगवान राम से जुड़ी कई यादें - महाराजा विक्रमादित्य ने फिर से बसायी थी नयी अयोध्या

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UP Travel Guide Ayodhya Ram Janm Bhoomi History and Mandir Darshan

UP Travel Guide : अयोध्या के ये पांच स्थल भगवान श्रीराम की मौजूदगी का आज भी कराते हैं अहसास

ट्रेवल गाइड
अयोध्या. धार्मिक और पौराणिक तीर्थ स्थल अयोध्या मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जन्म स्थली है। यहां की हर गली त्रेता युग में जन्में भगवान राजा राम की कहानी कहती है। आज भी जन-जन की जुबान पर राम के चर्चे हैं। अयोध्या ( Ayodhya ) का कण-कण भगवान राम की यादों से जुड़ा है। तमाम पौराणिक स्थल,मंदिर और कुंड हैं जिनमें भगवान श्री राम ( Shri Ram ) के अंश आज भी मौजूद हैं। अयोध्या आकर राम की मौजूदगी का अहसास किया जा सकता है। तो आइए आज हमारे साथ अयोध्या की धर्म यात्रा कीजिए और अपने अंदर महसूस कीजिए भगवान राम की मौजूदगी की।

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पांच कोस की परिधि में भगवान राम ने कीं लीलाएं


कलियुग की अयोध्या में भगवान श्रीराम की कथा से जुड़े अंशों का सबसे महत्वपूर्ण और जीवंत उदाहरण है उत्तर दिशा में बहने वाली पवित्र सरयू नदी ( Saryu Nadi ) । पौराणिक मान्यता है यह नदी त्रेता युग से अब तक अबाध रूप से अयोध्या के किनारे बह रही है। यह वह नदी है जिसके आगोश में राम खेले-कूदे बड़े हुए और यहीं अंतिम यात्रा पर भी चले गए। अयोध्या के प्रसिद्ध तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी कहते हैं कि भगवान राम अयोध्या के प्राण हैं। यहां के कण-कण में भगवान राम की कथा समाहित है। अपनी जन्म स्थली के अलावा अयोध्या में 5 कोस की परिधि में भगवान राम लला ने बालस्वरूप से लेकर युवावस्था तक अपनी लीलाएं कीं। रामकोट क्षेत्र में श्री राम जन्मभूमि वही पवित्र स्थान है जहां रामलला ( Ramlala ) का प्राकट्य हुआ। रामकोट ( Ramkot ) किले के चारों तरफ विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर आज भी श्री रामचरितमानस ( Shri Ramcharit Manas ) में उल्लिखित पंक्तियों को यथार्थ करते हैं।

21 सौ साल पहले फिर से जीवंत हो उठी अयोध्या

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त्रेता युग की अयोध्या भगवान राम के गुप्तार घाट ( Guptar Ghat ) पर गुप्त होने के साथ ही समाप्त हो गई। बाद में महाराजा विक्रमादित्य ( Maharaja Vikrmaditya ) ने आज से 21 सौ वर्ष पूर्व अयोध्या की फिर से खोज की। उसका जीर्णोद्धार कराया। विक्रमादित्य ने अयोध्या के पांच प्रमुख मंदिरों- श्रीराम जन्मभूमि ( Shri Ram janm Bhoomi ) ,नागेश्वरनाथ ( Nageshwarnath ) हनुमानगढ़ी ,( Hanuman Gadhi9 ) रत्न सिंहासन ( Ratn Sinhsan ) और रामकोट क्षेत्र को एक किले का स्वरूप दिया। इसके हर कोने पर अलग-अलग देवी-देवताओं के मंदिर बनवाए। जिन्हें अयोध्या के द्वारपाल, मंत्री और कोतवाल का पद नाम दिया। तब से लेकर अब तक सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद भी अयोध्या अपनी गौरव गाथा गा रही है। श्री रामचरितमानस में इसका गुणगान तुलसीदास ने भी किया।

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सीता रसोई,मणि पर्वत कराते हैं मां सीता का अहसास


अयोध्या में श्रीराम की कथा से जुड़े अंशों में सरयू नदी,श्रीराम जन्मभूमि और भगवान श्रीराम के पुत्र महाराजा कुश द्वारा स्थापित नागेश्वर नाथ मंदिर, माता सीता को अयोध्या आगमन के पश्चात माता कैकेयी द्वारा मुंह दिखाई में मिला प्राचीन कनक भवन मंदिर ( Kanak Bhavan Ayodhya ) , विवादित परिसर में मौजूद सीता रसोई, मणि पर्वत ( Mani Parwat Ayodhya ) और सरयू तट के किनारे स्थित गुप्तार घाट का मौजूद है। जहां भगवान श्रीराम अंत समय में अपने परिवार समेत सरयू में गुप्त हो गए। यानी समाहित हो गए।

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