
Durga Yadav and Ramakant Yadav
आजमगढ़। निकाय चुनाव को प्रतिष्ठि से जोड़कर मैदान में उतरे सपा और भाजपा के बाहुबली मुलायम सिंह यादव का गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ में चारो खाने चित हो गये है। भाजपा के पूर्व सांसद रमाकांत यादव अगर अपनी पत्नी को हारने से नहीं बचा पाए तो बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव के करीबी पदमाकर लाल कहीं भी लड़ाई में नजर नहीं आये। इन बाहुबलियों के मात खाने से दोनों दलों की 2019 में परेशानी बढ़नी तय है।
बता दें कि टिकट घोषणा के पहले से ही सपा में विवाद शुरू हो गया था। सपा के पूर्व मंत्री बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव ने अपने करीबी पदमाकर लाल को मैदान में उतरवाया था। उसी समय सपा के लोग पदमाकर का डीएम का पैर पकड़ने वाला फोटो वायरल कर दिया था। इसके बाद खुद दुर्गा प्रसाद यादव पदमाकर को जिताने के लिए मैदान में उतर गये थे। दुर्गा द्वारा पहली बार निकाय में प्रचार किया गया। इससे मुस्लिम मतदाता बिदक गये कारण कि इसके पहले तीन चुनावों में पार्टी ने मुस्लिम मैदान में उतारा तो दुर्गा प्रचार के लिए नहीं उतरे थे। इस चुनाव को दुर्गा प्रसाद यादव की प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जा रहा था लेकिन पदमाकर लाल कहीं लड़ाई में भी नहीं दिखे।
कुछ ऐसा ही हाल माहुल नगर पंचायत में था। यहां अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव की पहली पत्नी और भाजपा विधायक अरूण कांत यादव की मां सत्यभामा को चुनाव मैदान में उतारा था। यहां निर्दल प्रत्याशी बदरे आलम 951 मत पाकर विजयी रहे। दूसरे स्थान पर रहे ओमप्रकाश को 695 और तीसरे स्थान पर रही कुसुम यादव ने 691 मत हासिल किया। रमाकांत यादव की पत्नी को मात्र 673 मत हासिल हुए। जबकि माहुल रमाकांत यादव के गृह क्षेत्र में आता है। यहां उनके पत्नी की हार बड़ा झटका मानी जा रही है। सत्यभामा की हार का बड़ा कारण सवर्ण मतदाताओं का रमाकांत यादव के प्रति नाराजगी मानी जा रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद नई चर्चा शुरू हो गयी है। कारण कि इसे लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। सपा से मुसलमानों की नाराजगी और भाजपा से सवर्णो का दूर होना दोनों ही दलों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
Published on:
02 Dec 2017 12:55 pm
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