
प्रतीकात्मक फोटो
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़. पिछले दिनों बिन मौसम बरसात के कारण आम आदमी और किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था। धान की फसल भीगकर बर्बाद हो गयी थी। अब अप्रैल माह के पहले हफ्ते में ही गर्मी ने 20 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। पारा 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने से इंसान की मुश्किल तो बढ़ी ही है रबी की फसल भी बर्बाद हो रही है। तेज धूप के साथ 12 से 14 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चल रही है। गर्मी के कारण गेहूं की फसल झुलस रही हैं। गर्मी से राहत के आसार नहीं दिख रहे। बढ़ रहा तापमान नए रिकार्ड की ओर अग्रसर है।
अप्रैल माह में मौसम का उतरा चढ़ाव जारी है। दिन व रात के तापमान में काफी अंतर है। तापांतर होने लोगों को रात में गर्मी से राहत मिल रही है। मार्च के प्रथम सप्ताह तक मौसम में काफी ठंडी रही। दूसरे सप्ताह के बाद से मौसम ने तेवर बदलना शुरू किया। तापमान तेजी से बदलने लगा। होली के आस-पास मौसम तेजी से बदल गया। तापमान 30 के पार पहुंच गया। तेज हवा चलने व तापमान बढ़ने से गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। समय से पहले ही गेहूं की फसल झुलसने लगी। जिससे उत्पादन भी प्रभावित होगा। अब अप्रैल माह में पारा 40 डिग्री के पार पहुंच गया है। जो खेती के लिहाज से कहीं से भी ठीक नहीं है।
कृषि विज्ञान केन्द्र कोटवा के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डा. आरपी सिंह का कहना है कि मार्च के अंत व अप्रैल की शुरूआत में तामपान 38 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। कुछ साल में 31 डिग्री सेल्सियस रहा है। इधर 18 साल में अब तक का यह सबसे अधिक तामपान रहा। सोमवार को जनपद का अधिकतम तामपान 40 व न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस रहा। 12 से 14 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चली। कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि गेहूं की कटाई अप्रैल में होती है। पूर्व के वर्ष में लोग सुबह से फसल की कटाई करने जाते थे तो ठंड लगती थी। इस साल मार्च में ही ठंड पूरी तरह से गायब है। गेहूं के उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। तापमान जिस तरह से बढ़ रहा है, इससे गर्मी से राहत मिलने का आसार नहीं दिख रहे।
Published on:
04 Apr 2022 09:05 pm
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