
जौं, सरसो, मटर, चना की फसल ओलावृष्टि, बरसात और तूफान के कारण 40 से 50 प्रतिशत बर्बाद हो चुकी है वहींं गेंहू भी हल्का पड़ गया है जिससे उत्पादन कम हुआ है
रणविजय सिंह
ग्राउंड रिपोर्ट
आजमगढ़. लॉकडाउन का सर्वाधिक नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। ओलावृष्टि, चक्रवाती तूफान और भारी बरसात के कारण पहले ही 50 प्रतिशत तक फसल खो चुके किसान की खरीफ व जायद में अच्छा उत्पादन कर नुकसान की भरपाई का सपना टूटता जा रहा है। खेत में फसल पक कर तैयार है, लेकिन लॉकडाउन के कारण मजदूर नहीं मिल रहे हैं। मौसम हर दिन नया तेवर दिखा रहा है। जिनकी फसल किसी तरह कटकर घर तक पहुंच भी गयी है, उन किसानों के सामने उसे बेचने की समस्या है। कारण कि व्यवसाई लॉकडाउन के बहाने औना-पौना दाम लगा रहे हैं और सरकार को उत्पाद बेचने के लिए पंजीकरण जरूरी है। इस काम में भी लॉकडाउन का अड़ंगा है। ऐसे में जायद और खरीफ की फसल का पिछड़ना तय है। किसान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा, बल्कि अपनी बेबसी पर आंसू बहा रहा है। मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने के संकेत दिये हैं। लॉकडाउन बढ़ते ही किसानों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था वाले राज्य यूपी में 65 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। यहां करीब 165.98 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है। इनमें ज्यादातर ऐसे किसान हैं जिनके पास एक हेक्टेयर से कम खेत है। खेती से होने वाले उत्पादन और मजदूरी से ही इनकी सारी जरूरत पूरी होती है। कोरोना के प्रसार के कारण 22 मार्च से यूपी में लॉकडाउन है। इसके आगे बढ़ने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
ऐसे में किसानों की मुश्किल बढ़नी तय है। कारण कि फसल पक कर तैयार है। मजदूरों के अभाव के कारण किसान या तो खुद अपनी फसल काट रहा है अथवा हार्वेस्टर का सहारा ले रहा है। स्वयं कटाई और मड़ाई में अधिक समय लग रहा है, जिससे जायद की फसल पिछड़ रही है। जायद की फसल के लिए मार्च माह सबसे बढ़िया माना जाता है, लेकिन अप्रैल का पहला पखवारा समाप्त होेने वाला है लेकिन किसान अभी तक बुआई शुरू नहीं कर सका है। अब किसानोें की उम्मीदें खरीफ की फसल पर टिकी हुई हैं। खरीफ की तैयारी मई माह से शुरू हो जाती है। लोग मई में खेत की जोताई कर पहली बरसात के बाद हरी खाद आदि तैयार करता है और जून में नसर्री लगा 25 जून के बाद धान की रोपाई शुरू करता है। इसपर होने वाला सारा खर्च किसान अपने रबी के उत्पाद को बेचने से होने वाली आमदनी से करता है।
करीब 50 फीसदी तक बर्बाद हो चुकी है रबी की फसल
इस बार रबी की फसल में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। जौं, सरसो, मटर, चना की फसल ओलावृष्टि, बरसात और तूफान के कारण 40 से 50 प्रतिशत बर्बाद हो चुकी है वहींं गेंहू भी हल्का पड़ गया है जिससे उत्पादन कम हुआ है। किसान इस कोशिश में जुटा है कि मौसम फिर कहर बरपाये उससे पहले वह अपने उत्पाद को घर में सुरक्षित करे अथवा बेच दे लेकिन सरकार के कड़े नियम अब किसानों के आड़े आ रहे हैं। सरकार ने 15 अप्रैल से गेंहू क्रय केंद्र चालू करने की घोषणा की है। किसान को अपना उत्पाद यहां बेचने से पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना है और रजिस्ट्रेशन की कापी नजदीकी क्रय केंद्र में जमा करना है। इसके बाद नंबर आने पर उनका गेंहू खरीदा जाएगा। लॉकडाउन के चलते मार्केट के साथ ही ग्राहक सेवा केंद्र बंद है। ऐसे में किसानों का पंजीकरण नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर किसान कम पढ़े लिखे या अनपढ़ हैं। वे अपना पंजीकरण खुद नहीं कर सकते। यहीं यही नहीं अगर किसी ने अपना आनलाइन पंजीकरण कर भी लिया तो उसके सामने प्रिंट निकालने की समस्या खड़ी हो जा रही है। परिणाम है कि ज्यादातर किसान क्रय केंद्र पर नंबर ही नहीं लगा पा रहे हैं। यह तब तक संभव नहीं होगा जब तक लॉकडाउन समाप्त नहीं होता अथवा ग्राहक सेवा केंद्र नहीं खुलते।
...तो औने-पौने दामों पर फसल बेचेंगे किसान
अगर किसान समय से अपने उत्पाद नहीं बेच पाया तो वह खरीफ के लिए न तो खेत की तैयारी कर सकेेगा और न ही नर्सरी लगा पाएगा। किसान धर्मेंद यादव, नायब यादव, विनोद यादव, राम चंदर राम, संतोष राम, राम अवध राम, कमलेश सिंह, रामजीत सिंह, अमरनाथ सिंह आदि का कहना है कि सभी लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं लेकिन रोजी रोटी का संकट बढ़ता जा रहा है। अगर सरकार क्रय केंद्र पर पंजीकरण का विकल्प नहीं लाती, अथवा रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं कराती तो सरकारी केंद्रों पर गेंहू नहीं बिकेगा तथा स्थानीय कारोबारी पूर्व की तरह उत्पाद औने पौने दाम पर खरीदेंगे। जरूरत को पूरा करने के लिए उत्पाद बेचना हमारी मजबूरी है। ऐेसे में हमें नुकसान तो होगा ही साथ ही खरीफ की फसल में लागत लगाना मुश्किल होगा।
Updated on:
12 Apr 2020 09:38 am
Published on:
11 Apr 2020 03:49 pm
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