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आजमगढ़ की पारुल अग्रवाल ने जीता इंडिया बेस्ट डिजाइन अवार्ड

मिट्टी के मनकों से पारुल ने डिजाइन किया था जेवरात पारुल ने वर्चुअल आयोजन में देश-विदेश के 22 सदस्यीय जूरी के समक्ष अपनी मेधा का मनवाया लोहा

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पारुल अग्रवाल व उसने डिजाइन किये आभूषण

आजमगढ़. विश्व प्रसिद्ध निजामाबाद की ब्लैक पाटरी उत्पाद को आभूषण के दुनिया में अलग पहचान देने के लिए लगातार प्रयास कर रही जिले की बेटी पारुल अग्रवाल की मेहनत रंग लायी। पाटरी (मिट्टी से बने छोटे मटक) से महिलाओं के लिए रिग, कान की बाली व गले के हार तैयार करने वाली पारुल अग्रवाल ने इंडिया बेस्ट डिजाइन फैशन का प्रोजेक्ट अवार्ड 2020 जीता है। पारुल ने वर्चुअल आयोजन में देश-विदेश के 22 सदस्यीय जूरी के समक्ष अपनी मेधा का लोहा मनवाया। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अर्वाड जीतकर उन्होंने जिले का नाम रोशन किया है।

बता दें कि शहर के रैदोपुर निवासी राजेश अग्रवाल की पुत्री पारुल अग्रवाल ने भारतीय शिल्प संस्थान जयपुर से क्राफ्ट डिजाइनिग का डिप्लोमा किया है। पारुल का हमेशा से प्रयास रहा है कि वे कुछ ऐसा करें जिससे निजामाबाद के पाटरी उद्योग को बढ़ावा मिले। इस लिए उन्होंने पाटरी को आभूषण की दुनिया में उतारने का प्रयास किया।

इसके बाद निजामाबाद की ब्लैक पाटरी से जुड़े हस्तशिल्पियों से छोटे-छोटे मटके बनवाए और उसे जेवर में पिरोया। उनका तैयार किया जेवर काफी आकर्षक था। इसके बाद पारुल ने दिसंबर 2018 में कोलकाता में आयोजित क्राफ्ट मेले में प्रतिभाग किया। यहां उनकी ज्वेलरी काफी सराही गयी।

फिर क्या था प्रोत्साहन मिला तो इस बिटिया ने कुछ और अलग करने का फैसला किया। उन्होंने काबिश (तरल काली मिट्टी) नाम से ज्वेलरी की ब्रांड लांच किया। 31 जनवरी को जीओ गार्डन मुंबई में आयोजित लक्मे फैशन वीक में इसका चयन कर लिया गया। अब शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित वर्चुअल इंडिया बेस्ट डिजाइन अवार्ड कार्यक्रम में शामिल हुईं तो मटका पिरोए ज्वेलरी की डिजाइन को प्रस्तुत किया। डिजाइन इतनी आकर्षक थी कि उन्हें इंडिया बेस्ट डिजाइन फैशन का प्रोजेक्ट अवार्ड 2020 से नवाजा गया। पारुल ने अपनी सफलता का श्रेय निजामाबाद के हस्तशिल्पियों को दिया। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि इस विधा को ऊंचाइयों तक ले जाएं ताकि आभूषण के साथ ही निजाबामाद की पाटरी को भी बढ़ावा मिल सके।

BY Ran vijay singh