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UP Assembly Election 2022: जब वोट के बदले कफन मांगकर राजबली ने ढ़हा दिया था दुर्गा का किला

UP Assembly Election 2022 आजमगढ़ विधानसभा को बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव का अभेद किला कहा जाता है। जहां से वे अब तक आठ बार विधायक चुने जा चुके हैं लेकिन एक चुनाव ऐसा भी था जब प्रत्याशी ने मतदाताओं एक वोट की भीख दो या कफन मांग कर ऐसा माहौल बनाया था कि दुर्गा का किला ध्वस्त कर विधायक बन बैठा था।

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प्रतीकात्मक फोटो

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
आजमगढ़.UP Assembly Election 2022 जिले में बाहुबली दुर्गा प्रसाद एक मात्र नेता है जो एक क्षेत्र से आठ बार विधायक चुने गए है। अब तो लोग यहां तक कहने लगे हैं कि दुर्गा को हराना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है लेकिन शायद यह सच नहीं है राजनीति में कुछ भी नामुमकिन नहीं होता इसे वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में राजबली यादव ने साबित कर दिखाया था। राजबली न तो बाहुबली थे और ना ही समृद्ध लेकिन उन्होंने लोगों से एक वोट की भीख दो या कफन मांगकर दुर्गा का किला ढ़हा दिया था। यह दुर्गा की विधानसभा चुनाव में एक मात्र हार है। उस चुनाव में मतदाताओं ने राजबली को सिर्फ वोट ही नहीं दिया बल्कि चुनाव लड़ने के लिए धन भी मुहैया कराया था।

बता दें कि बाहुबली दुर्गा प्रसाद यादव ने वर्ष 1985 में राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी। पहला चुनाव दुर्गा प्रसाद ने जेल में रहते हुए जीता था। इसके बाद दुर्गा प्रसाद यादव वर्ष 1989 व 1991 में भी आसानी से चुनाव जीते। वर्ष 1993 के चुनाव में सपा बसपा गठबध्ंान हुआ तो बसपा नेता राजबली को यहां से मैदान में उतारा गया।

मूल रूप से कप्तानगंज थाना क्षेत्र के लछेहरा निवासी राजबली यादव बेहद सरल स्वभाव के थे और शहर के दलसिंगार मोहल्ले में आवास बनवाकर रहते थे। दुर्गा के मुकाबले उन्हें काफी कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। कारण कि राजबली के पास चुनाव लड़ने के लिए धन भी नहीं था। ऐसे में लोग दुर्गा की जीत पक्की मानी जा रही थी लेकिन किसी को यह एहसास नहीं था कि बड़ा उलटफेर होने वाला है।

शहर के एलवल निवासी राज नारायण व रोडवेज निवासी छोटेलाल बताते हैं कि टिकट मिलने के बाद राजबली यादव ने घर-घर घूमना शुरू किये लेकिन उस समय उन्हें कोई तरजीह देने के लिए तैयार नहीं था। तब उन्होंने एक तरकीब निकाली और कंधे पर कफन टांगकर घूमने लगे। वह लोगों के दरवाजे पर जाते और उनसे एक वोट की भीख मांगते। साथ ही कहते थे कि आप वोट नहीं दे सकते तो एक कफन दे दीजिए। पहले तो लोगों ने इसे मजाक में लिया लेकिन बाद में इस चुनावी पैतरे की खूब चर्चा होने लगी।

हर गली मोहल्ले में चट्टी पर बस एक ही चर्चा होती थी कि फला प्रत्याशी तो कफन मांग रहा था। राजबली का यह दाव रंग लाया और लोग तेजी से उनके साथ न केवल जुड़े बल्कि चुनाव लड़ने के लिए उन्हें चंदा भी देना शुरू कर दिये। फिर क्या था। एकाएक चुनावी फिजा बदल गई और राजबली से दुर्गा को कड़ी टक्कर मिलने लगी। फिर भी किसी को भरोसा नहीं था कि राजबली चुनाव जीत सकते हैं लेकिन जब चुनाव परिणाम की घोषणा हुई तो दुर्गा प्रसाद यादव का किला ढ़ह चुका था और राजबली यादव विधानसभा पहुंच गए। वर्ष 1993 के बाद दुर्गा प्रसाद यादव कोई चुनाव नहीं हारे हैं। आजमगढ़ के वे एकलौते नेता है जो आठ बार विधानसभा पहुंचा है।