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UP Municipal Elections 2022: कितना सफल होगा बीजेपी का पासमांदा दाव, क्या खोल पाएगी खाता?

आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर नगरपालिका सीट पर बीजेपी आज तक जीत नहीं हासिल कर पाई है। क्या बीजेपी का पासमांदा दाव क्या हार के सूखे को खत्म कर पाएगा

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यूपी में बीजेपी का इन्हीं पासमांदा मुसलमानों पर है बड़ा दाव

यूपी में बीजेपी का इन्हीं पासमांदा मुसलमानों पर है बड़ा दाव

यूपी निकाय चुनाव में सीट आरक्षण की स्थिति साफ हो चुकी है। चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। ऐसे में उम्मीदवारों की दावेदारी भी तेज हो गई है। बीजेपी इस चुनाव में पासमांदा मुसलमानों को अपने पक्ष में कर विपक्ष को गहरी चोट देने की कोशिश में जुटी है। आजमगढ़ की मुबारकपुर नगर पालिका सीट पर पासमांदा उम्मीदवार तय माना जा रहा है।आइए जानते हैं कि बीजेपी की क्या है रणनीति।

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कुछ सीटों पर पासमांदा बीजेपी की मजबूरी
आजमगढ़ जिले में 3 नगर पालिका और 13 नगर पंचायत सीटें हैं। बिलरियागंज को पहली बार नगरपालिका का दर्जा दिया गया है। इसमें मुबारकपुर और बिलरियागंज मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं। वहीं नगर पंचायत में सरायमीर, निजामाबाद और फूलपुर में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या काफी अधिक है। यहां मुस्लिम मतदाता ही तय करते हैं कि नगर पालिका अध्यक्ष कौन होगा। मुबारकपुर और बिलरियागंज में अब तक बीजेपी का खाता नहीं खुला है। अगर सीट जीतना है तो मुस्लिम वोट हासिल करना जरूरी है।

IMAGE CREDIT: patrika


निकाय चुनाव जीत 2024 की नींव मजबूत करने की कोशिश
बीजेपी निकाय चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव के लिए नींव और मजबूत करना चाहती है। इसके लिए पूरे प्रदेश में पार्टी का फोकस पासमांदा मुस्लिम वोट बैंक पर है। मुस्लिम समाज में यह एक ऐसा वर्ग है जो काफी पिछड़ा है। भाजपा सरकार अपनी योजनाओं के जरिए इनके बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।

मुबारकपुर में 90 प्रतिशत पासमांदा वोटर
मुबारकपुर नगपालिका में कुल मुस्लिम आबादी 1 लाख 40 हजार है। वहीं हिंदू आबादी 50 हजार के करीब है। मुस्लिम आबाद में 90ः पासमांदा मुस्लिम हैं। पसमांदा मुसलमान साड़ी की बुनाई या फिर दैनिक मजदूरी कर गुजर बसर करते है। मुबारकपुर में अध्यक्ष तय करने में पसमांदा मुसलमानों की अहम भूमिका होगी। बीजेपी इन्हें पार्टी के साथ जोड़ने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।

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क्या है बीजेपी की रणनीति
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के लोग पासमांदा समाज का सम्मेलन कर रहे है। कोशिश कर रहे हैं कि इस समाज के मजबूत लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए। इसके लिए इनके बीच सरकार की उन योजनाओं का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है जिसका लाभ अधिक लोगों को मिला है। महिलाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए महिला प्रकोष्ठ को लगाया गया है।

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बीजेपी का दावा- सबसे अधिक लाभ पासमांदा को मिला
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के जिलाध्यक्ष इस्माइल फारुकी का दावा है कि केवल मुबारकपुर कस्बे में सरकार ने 1800 लोगों को आवास योजना का लाभ दिया है। इसमें 90ः पासमांदा मुस्लिमों को आवास दिया गया है। इसी तरह शौचालय, आयुष्मान कार्ड, राशन आदि का लाभ भी सबसे अधिक इसी वर्ग को मिला है।

पिछड़े मुस्लिमों को रोजागार से जोड़ने की कोशिश
इस्माइल बताते हैं कि सरकार का फोकस पासमांदा मुस्लिमों के जीवन स्तर में सुधार है। रोजगार मेले में अधिक से अधिक इनके बच्चों को नौकरी देने की कोशिश की गई। मुद्रा योजना के तहत इन्हें इन्हें लोन देकर स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है। सारे कार्यकर्ता इस काम में उनकी मदद करते है।

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?
बीजेपी का दावा है कि मुस्लिम समाज में सबसे ज्यादा आबादी पिछड़े मुसलमानों की है। सवर्ण मुसलमान यानी कि शेख, पठान, शैय्यद की आबादी मात्र 2ः से 3ः है। आंकड़े बताते हैं कि यूपी में मुस्लिम आबादी भले ही 20ः है लेकिन सरकारी योजनाओं में इनकी हिस्सेदारी 35ः हैं। उन्होंने दावा किया कि जिन्हें योजना का लाभ मिला है वे बीजेपी से जुड़ रहे हैं।

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बीजेपी से दो मुस्लिम दावेदार
नगर निकाय चुनाव में मुबारकपुर में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी से मुक्तदीर उर्फ हाजी पल्लू टिकट के प्रबल दावेदार है। पिछले चुनाव में निर्दल चुनाव लड़कर इन्होंने 8,500 वोट हासिल किया था। अब बीजेपी के साथ खड़े हैं। इसके अलावा परवेज आजमी भी टिकट मांग रहे हैं। इसके अलावा आशीष गुप्ता और राजीव यादव ने पार्टी से टिकट मांगा है।

सीट पर सपा बसपा का है वर्चस्व
मुबारकपुर सीट पर वर्ष 1994 के बाद से ही सपा और बसपा का वर्चस्व है। अब तक सपा के 3 और बसपा के 2 अध्यक्ष चुने गए हैं। बीजेपी का यहां अब तक खाता नहीं खुला है। कांग्रेस ने 1955 अध्यक्ष चुनाव जीता था।

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