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एमपी में किसानों से छलावा, इतना खराब कि बोरे में ही जम गया खाद

खंडवा में प्रतिबंधित कंपनी का 12 हजार बोरी अमानक खाद बड़वानी जिले के किसानों को बांटा। कलेक्टर ने दिए मामले में जांच के आदेश।

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Editorial Khandwa

Jul 07, 2017

12 thousand sack of Godavari DAP non-standard fert

12 thousand sack of Godavari DAP non-standard fertilizer


बड़वानी.
मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में किसानों ने सोसायटी से खाद खरीदा और जब खेत में ले जाकर डालने के लिए बोरी खोली तो उसमें जमा हुआ खाद और पत्थर बन चुका खाद निकला। मामला दवाना क्षेत्र में तीन दिन पुराना है। किसानों ने आरोप लगाया कि कमिशनखोरी के चक्कर में अधिकारी अमानक खाद बिकवा रहे हैं। किसानों की शिकायत के बाद कलेक्टर ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। तहसीलदार ने खाद के सेंपल लेकर लेब में जांच के लिए भेजा है। कोरोमंडल लिमिटेड सिकंदराबाद का यह खाद पड़ोसी जिले में पहले से प्रतिबंधित है। वहीं, सोसायटी अब किसानों से खाद बदलकर देने की बात कर रही है। जिले में 12 हजार बोरी डीएपी खाद का वितरण हो चुका है।
















जिले में सहकारी समितियों के माध्यम से कोरामंडल कंपनी की गोदावरी डीएपी खाद बेची गई है। जिलेभर में 12 हजार बोरी खाद बेची गई है। एक बोरी की कीमत करीब 1100 रुपए के हिसाब से जिलेभर में 1 करोड़ 30 लाख रुपए की खाद किसानों ने खरीदी है। सोमवार को दवाना क्षेत्र के किसान हितेश पटेल, हातोला के किसान जगदीश व मांगीलाल आदि दवाना सोसायटी पहुंचे थे। यहां किसानों ने बताया कि जब इस खाद को लेकर किसान खेत में छिड़काव करने पहुंचे तो उसमें पत्थर और खाद के बड़े बड़े डल्ले जैसे जमा हुआ जो की पत्थर का रूप ले चुका था।












किसानों का मानना था कि खाद को डालने के बाद वे पानी में घुल जाता है, लेकिन ये पत्थर बन चुका है और घुलने की संभावना नहीं है। इसके खेत में छिड़काव करने से फसल को कोई फायदा नहीं मिलने वाला। किसानों ने आरोप लगाया कि अधिकारी कमीशन चक्कर में कोई भी खाद किसान को दे देते है। खेती में फायदा मिलता नहीं और कर्ज बढ़ जाता है और किसान आत्महत्या कर लेता है।










कंपनी बदलकर देने को तैयार

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इस मामले में शिकायत के बाद दवाना सोसायटी अध्यक्ष बद्रीलाल मुकाती, उपाध्यक्ष राजेश पाटीदार ने माना कि खाद खराब हो सकती है। सोसायटी शाखा प्रबंधक सुभाष शर्मा का कहना था कि मुंबई की कंपनी से खाद बुलवाया गया था। शिकायत मिलने पर कंपनी को खाद वापस भेजा जाएगा। साथ ही किसानों को खाद के बदले दूसरा खाद दिया जाएगा। किसानों को सोसायटी आने-जाने का लगने वाला आर्थिक भार भी कंपनी से दिलवाया जाएगा। अब सवाल ये है कि एक सोसायटी में मामला सामने आया है, जबकि जिलेभर में गोदावरी डीएपी खाद बेची जा चुकी है। विपणन संघ बड़वानी के संविदा क्षेत्र सहायक अधिकारी कैलाश कुशवाह की माने तो जिले में 12 हजार बोरी खाद की आवक हुई थी। फिलहाल में किसी भी गोदाम में खाद नहीं बचा है। कई किसान तो इस खाद को खेत में डाल भी चुके होंगे। ऐसे में फसल खराब होने पर किसकी जिम्मेदारी रहेगी।

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खुला खाद पैक कर बेचती कंपनी

दवाना सोसायटी शाखा प्रबंधक सुभाष शर्मा ने बताया कि ये आयतित खाद है जो मुंबई में खुला हुआ आता है। इसकी खरीदी के बाद कंपनी ने पैक कर सरकारी माध्यम से किसानों तक पहुंचाया है। जब मौके पर जांच की गई तो खाद की बोरियों पर 2015 की तारीख लिखी हुई थी। उल्लेखनीय है कि ये खाद प्रदेशभर के 33 जिलों में सप्लाय हुआ है। जो लाखों की संख्या में बोरी हो सकती है। यदि अन्य जिलों में भी 2015 तारीख का माल दिया गया है तो मामला बेहद गंभीर हो सकता है।



जांच के बाद होगी कार्रवाई

&तहसीलदार से खाद के सेंपल लेकर लेब जांच के लिए भेजने को कहा गया है। लेब जांच की रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। बेहद गंभीर मामला है, किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दास्त नहीं की जाएगी।

तेजस्वी एस नायक, कलेक्टर

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