
Gayatri Parivar's three day program in Salitanda
बड़वानी/सेंधवा.
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा नगर से करीब 15 किमी दूर सालीटांडा में बुधवार से तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके पहले दिन शोभायात्रा और चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत हुई। इसमें में हजारों श्रद्धालु उपस्थित हुए।
बुधवार को ग्रामीण क्षेत्र में 15 गांवों के लोगों ने कलश यात्रा निकाली जो धनोरा गांव पहुंची। चाचरिया रोड स्थित गायत्री मंदिर पर कलश यात्रा का ग्रामीणों ने स्वागत किया है। चाचरिया, धनोरा सहित अन्य गांवों से आई कलश यात्रा में युवतियां सिर पर कलश रख ढोल मांदल की थाप पर थिरकते चल रही थी। कई स्थानों पर कलश यात्रा का ग्रामीणों के द्वारा स्वागत किया गया। नशा मुक्ति के लिए हरिद्वार शांति कुंज से वरिष्ठ प्रतिनिधि दिनेश पटेल विशेष रूप से उपस्थित है। वे शांतिकुंज हरिद्वार का संदेश देंगे। नशा मुक्ति अभियान शुरुआत करेंगे। कलश यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने नशामुक्ति, नारीशक्ति सम्मान सहित मांस खाना बंद करों का आह्वान किया। लोगों को जागरूक करने के लिए ढोल नृत्य एवं नशा विरोधी नुक्कड़ नाटक का प्रयोग किया जा रहा है। ढेमानिया बाबा को सच्ची श्रद्धांजलि के लिए इस कलश यात्रा को देखकर हजारों गांवों में नशा छोडऩे का संकल्प उठ रहा है। 2003 से लगातार 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 13, 14, 15 अप्रैल को किया जा रहा है।
ढेमनिया बाबा को सपने में दिखते थे गुरुदेव
ग्रामीणों ने बताया कि वर्ष 1970 के दशक में को प्रतिदिन सपने में पीपल के पत्ते पर गुरुदेव गायत्री माता एवं माता भगवती देवी सपने में आती थी। वे सोचते थे कि ये महाराज कौन है जो रोज सपने में आते है। एक दिन बुखार आने पर गांव साली स्थित डॉ. सिकरवार को दिखाने गए। वहां पर बड़े-बड़े फोटो गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य माता भगवती देवी शर्मा एवं गायत्री माता के देखे। डॉ. सिकरवार से पूछा कि ये कौन है, तो डॉ. सिकरवार ने कहा हरिद्वार के गुरु जी हैं मैं तुमको ले जाऊंगा। डॉ. सिकरवार डेमनिया भाई को हरिद्वार ले गए। जहां पर गुरुदेव ने उन्हें गले लगा कर कहा कि बेटा तुम मेरे पूर्व जन्म के साथी हो। पूर्व जन्म में तुम निषाद थे। इस जन्म में तुम्हें वनवासी समाज को ऊंचा उठाने का काम करना है। ढेमनिया बाबा ने तभी से गायत्री परिवार का काम शुरू किया। दिनेश पटेल शांतिकुंज हरिद्वार ने कहा कि आदिवासी समाज पहुंच मजबूत समाज है। इन्हें प्यार दिया जाए और सच्ची राह दिखाए जाए, तो ये गलत काम नहीं करते तथा समाज को आदिवासी संस्कृति जिंदा रखने ढेमनिया बाबा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
Published on:
13 Apr 2022 05:27 pm
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