11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सपा-बसपा व रालोद के इस पावरफुल ब्रह्मास्त्र से भाजपा को यूपी में हो सकता है भारी नुकसान

सपा-बसपा और रालोद ने प्रयोग करने के बाद तैयार किया है गठबंधन, चुनाव में दिख सख सकता है भारी असर

2 min read
Google source verification
SP-BSP-RLD Alliance

सपा-बसपा व रालोद के इस पावरफुल ब्रह्मास्त्र से भाजपा को यूपी में हो सकता है भारी नुकसान

बागपत. कहते है कि उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति जाति से शुरू होती है और जाति पर ही खत्म हो जाती है। इसके अलावा यहां पर पनपता परिवारवाद भी चुनाव में अहम रोल अदा करता है। कुछ ऐसे ही फॉर्मुले से बागपत भी प्रभावित है। यही कारण है कि बागपत में अजित सिंह कभी जाटों से बाहर नहीं आ सके और वे केवल जाटों के मसीहा ही बनकर रह गए। 2019 लोकसभा चुनाव में भी यूपी में यह जातिगत फॉर्मुले के तहत एक मजबूत गठबंधन हो चुका है। पिछले तीन लोकसभा उपचुनाव में इसके सफल परिक्षणके बाद इन तीनों ही पाटिर्यों ने अपना ब्राहमास्त्र एक बार फिर से तैयार कर लिया है। ऐसे में ये आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह गठबंधन भाजपा पर भारी पड़ने वाला है।

यह भी पढ़ें: सपा-बसपा के बीच सीटों के बंटवारे के साथ ही मिली बड़ी सफलता, यह दल भी आया साथ

जब बड़ा दुश्मन सामने हो तो छोटे-छोटे गुटों को आपस की दुश्मनी भुलाकर बड़े दुश्मन के खिलाफ खड़ा होने में ही समझदारी है। इसी फॉर्मुले के साथ यूपी में रालोद, सपा और बसपा ने मिलकर भाजपा को घेरने की रणनीति बना ली है। जातिगत आधार पर जिस सीट पर जिसका वर्चस्व है। उसको वरियता दे दी गई है। कांग्रेस को भले ही इस गठबंधन से बाहर रखा गया हो, लेकिन कांग्रेस की अहम सीट रायबरेली और अमेठी से गठबंधन कोई प्रत्याशी नहीं उतारेगा, यह भी तय किया जा चुका है। 2019 के चुनाव में जाट मुस्लिम और दलित गठजोड़ क्या रंग दिखाता है। ये तो चुनाव ही तय करने वाला है कि जातिगत राजनीति लोगों को कितना पसंद करते हैं। लेकिन माना जा रहा है कि मुस्लिमों और यादवों की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव, दलितों की देवी मायावती और जाट लैंड के देवता अजित सिंह एक होकर भाजपा पर जाति का जो ब्राहमास्त्र छोड़ने जा रहे हैं, इससे भाजपा का बचाना मुश्किल है।