
पूर्व आईपीएस सत्यपाल सिंह ने चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी थी नौकरी, अमिताभ बच्चन ने किया था किताब का अनावरण
बागपत। उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट से दूसरी बार सांसद चुने गए डॉ. सत्यपाल सिंह (Satya Pal Singh) ने चुनाव लड़ने के लिए नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से वीआरएस ले लिया था। बागपत में पहले पिता और फिर उनके बेटे को हराकर सत्यपाल सिंह (Satya Pal Singh) ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है।
वैज्ञानिक बनना चाहते थे पूर्व सांसद
29 नवंबर 1955 को बागपत के बासैली में जन्मे सत्यपाल सिंह के पिता का नाम रामकिशन है। उन्होंने बड़ौत के दिगंबर जैन कॉलेज से केमिस्ट्री में एमएससी की थी। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमफिल भी की है। इसके अलावा सत्यपाल सिंह ने ऑस्ट्रेलिया से एमबीए और नागपुर यूनिवर्सिटी से नक्सलवाद में पीएचडी की है। आईपीएस बनने से पहले वह वैज्ञानिक बनना चाहते थे।
1980 बैच के महाराष्ट्र कैडर के हैं आईपीएस
डॉ. सत्यपाल सिंह 1980 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस हैं। उनकी पहली पोस्टिंग नासिक पुलिस के असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट के रूप में हुई थी। इसके बाद वह तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते गए और 23 अगस्त 2012 को मुंबई के पुलिस कमिश्नर नियुक्त किए गए। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने 31 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा देकर वीआरएस के लिए आवेदन किया था। अपने कार्यकाल में उन्होंने सिंडिकेट गैंग्स की कमर तोड़ दी थी। अपराधी गिरोहों के खिलाफ उन्होंने बड़ा अभियान चलाया था।
बागपत से दिया था टिकट
मुंबई पुलिस छोड़कर सत्यपाल सिंह अपने घर बागपत लौट आए थे। 2 फरवरी को उन्होंने मेरठ में भाजपा की रैली में तत्कालीन भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अमित शाह की मौजदूगी में कमल थामा था। पार्टी ने उन पर भरोसा करते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में बागपत से टिकट दिया था। उस समय बागपत में छोटे चौधरी उर्फ अजित सिंह का दबदबा था।
इन्होंने किया था प्रचार
2014 के चुनाव में उतरे डाॅ. सत्यपाल सिंह के समर्थन में खुद फिल्म अभिनेता सन्नी देओल पहुंचे थे। उनके अलावा शूटरों के विश्व प्रसिद्ध जौहड़ी क्लब के अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय निशानेबाजों ने उनके लिए प्रचार किया था। उस चुनाव में सत्यपाल सिंह ने सबको चौंकाते हुए जीत हासिल की थी। जाटों के गढ़ में उन्होंने 423,475 वोट लेकर बाजी मारी थी। उस चुनाव में बागपत से छह बार सांसद रहे अजित सिंह 199,516 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। इस जीत के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्री का तोहफा दिया गया था।
2019 में जयंत चौधरी को हराया
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से डॉ. सत्यपाल सिंह पर भरोसा जताया और उन्हें बागपत से टिकट दिया गया। हालांकि, इस बार उनके मुकाबले चौधरी अजित सिंह के पुत्र मैदान में थे। इतना ही नहीं रालोद, सपा और बसपा ने हाथ मिलाकर एक उम्मीदवार उतारा था। कांग्रेस ने भी यहां से अपना कैंडिडेट नहीं उतारा था। इसके बावजूद सत्यपाल सिंह को 525789 वोट मिले। उन्होंने 23502 वोटों से जयंत चौधरी को शिकस्त दी।
1982 में हुई थी शादी
डॉ. सत्यपाल सिंह की परिवार की बात करें तो उनकी शादी 1982 में अलका सिंह से हुई थी। अलका सिंह टीचर रह चुकी हैं। दोनों के दो बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी चारू प्रज्ञा भाजपा में ही है। उस ने वकालत की पढ़ाई की हुई है और दिल्ली भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता है। डॉ. सत्यपाल सिंह के चुनाव प्रचार में वह भी शामिल रही थीं। भाजपा सांसद की दूसरी बेटी का नाम डॉक्टर ऋचा है। वह अमरोहा में रहती हैं। सत्यपाल सिंह का बेटा परकेत आर्य सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा है। चुनाव आयोग को दिए शपथपत्र के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 7.81 करोड़ रुपये है।
दो किताबें लिखी हैं पूर्व आईपीएस ने
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दो किताबें भी लिखी हैं। उनकी एक किताब तो नक्सलवाद से निपटने पर आधारित है। दूसरी किताब 'तलाश इंसान की' खुद के भीतर झांकने को मजबूर करती है। इसकी गिनती बेस्ट सेलिंग बुक्स में की जाती है। इस किताब के उर्दू संस्करण का अनावरण फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और कवि एवं स्क्रप्ट राइटर जावेद अख्तर ने किया था।
Published on:
29 May 2019 04:19 pm
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