
भैंस का दूध पीने पर लगवाना पड़ा रैबीज का इंजेक्शन
जयपुर. बांसखोह पंचायत क्षेत्र स्थित बन्ना की ढाणी में 15 दिन पहले एक पागल श्वान ने करीब 5 मवेशियों को काट लिया था। 15 दिन बाद इसमें से दो मवेशियों की मौत हो गई। वहीं, अन्य मवेशियों में भी रैबीज के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। भय के चलते पशुपालक के परिवार के सभी सदस्यों ने भी 3 दिन पहले रैबीज के टीके लगा लिए। जानकारी 7 मई को एक बाड़े में बंधी सीताराम मीना, बाबूलाल मीना की गाय, भैंस को एक पागल श्वान ने काट लिया था। इस पर 15 दिन बाद सीताराम मीना की एक बछडी एवं एक भैंस की सोमवार को एकाएक मौत हो गई। 3 दिन पहले बछछ़ी की मौत पर परिजन भी सकते में आ गए। परिजन भैंस का दूध भी पी रहे थे। इस पर बांसखोह सीएचसी में रैबीज का इंजेक्शन लगाने पहुंचे।
तुरंत लगवाएं रैबीज का इंजेक्शन
बांसखोह के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डॉ. कमलेश सैनी ने जब परिजनों से जानकारी ली, तो सभी सदस्यों को रैबीज के इंजेक्शन लगाने की बात कही। इस पर सभी 10 सदस्यों ने रैबीज का टीका लगवाया। इधर, जानकारी पर बांसखोह पशु चिकित्सालय प्रभारी विक्रम मीना, छीतर मीना ने मौके पर जाकर जानवरों की स्थिति देख इलाज किया।
15 से 20 दिन में दिख सकते हैं लक्षण
डॉ. विक्रम मीना ने बताया कि पागल श्वान के काटने पर तुरंत रैबीज का इंजेक्शन लगवाएं। अन्यथा यह बाद में रैबीज से संक्रमित हो जाते हैं। इसके लक्षण 15-20 दिन से लेकर कभी भी दिखाई दे सकते हैं। इसके तहत जानवर पागल हो जाता है। चारा नहीं खाता। मुंह से लार निकलती है। शरीर में धूजणी रहती है। मीना ने बताया कि रैबीज जानवर के खून या लार के सम्पर्क में आने से व्यक्ति भी रैबीज की चपेट में आ सकता है। इधर, सीताराम मीना की एक भैंस अब भी बीमार चल रही हैं। जानकारी के अनुसार सीताराम ने पागल कुत्ते के काटने के दौरान अपने जानवरों के रैबीज का टीका नही लगवाया था।
Published on:
26 May 2020 05:58 pm
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