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टिड्डी से पीछा छूटा नहीं, ये आफत आ गई किसानों के सामने

प्रदेश के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोरोना से उबरे नहीं थे कि टिड्डी दल ने हमला कर दिया। जैसे-तैसे उनसे मुकाबला कर रहे हैं तो एक नई परेशानी मानसून की बेरुखी सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसे में किसान चहुंओर से परेशानियों से घिरता नजर आ रहा है।

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बगरू

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Ashish Sikarwar

Jul 04, 2020

टिड्डी से पीछा छूटा नहीं, ये आफत आ गई किसानों के सामने

प्रदेश के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोरोना से उबरे नहीं थे कि टिड्डी दल ने हमला कर दिया। जैसे-तैसे उनसे मुकाबला कर रहे हैं तो एक नई परेशानी मानसून की बेरुखी सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसे में किसान चहुंओर से परेशानियों से घिरता नजर आ रहा है।,प्रदेश के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोरोना से उबरे नहीं थे कि टिड्डी दल ने हमला कर दिया। जैसे-तैसे उनसे मुकाबला कर रहे हैं तो एक नई परेशानी मानसून की बेरुखी सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसे में किसान चहुंओर से परेशानियों से घिरता नजर आ रहा है।,प्रदेश के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोरोना से उबरे नहीं थे कि टिड्डी दल ने हमला कर दिया। जैसे-तैसे उनसे मुकाबला कर रहे हैं तो एक नई परेशानी मानसून की बेरुखी सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसे में किसान चहुंओर से परेशानियों से घिरता नजर आ रहा है।

जयपुर. प्रदेश के किसानों की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले कोरोना से उबरे नहीं थे कि टिड्डी दल ने हमला कर दिया। जैसे-तैसे उनसे मुकाबला कर रहे हैं तो एक नई परेशानी मानसून की बेरुखी सामने आकर खड़ी हो गई। ऐसे में किसान चहुंओर से परेशानियों से घिरता नजर आ रहा है।
चीथवाड़ी सहित आसपास के गांवों में मानसून की आस में बोई बाजरे व ज्वार की फसल मुरझा रही है। बरसात नहीं होने से बाजरे, ज्वार व ग्वार की फसलें झुलसने लगी हैं। आकाश में काले बादल देखने पर किसानों की आस जगती है लेकिन बारिश नहीं होने से वे मायूस हो जाते हैं। ऐसे में किसानों के सामने दोहरा संकट खड़ा हो गया है। उनका कहना है कि एक पखवाड़े पहले मानसून पूर्व हुई बरसात में अच्छे मानसून की आस में बाजरे, ज्वार की फसल बोई थी, लेकिन बारिश नहीं होने से फसल निकलते ही नष्ट हो रही हैं। किसानों ने बताया कि पहले ही टिड्डी हमले से काफी नुकसान हो गया। अब बारिश नहीं होने से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।

देसी का निकला समय, संकर किस्म की बारी
किसानों का कहना है कि मानसून की दस्तक के बाद भी बरसात नहीं होने पर देसी फसल बुआई का समय निकलता जा रहा है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार 30 जून तक देशी फसलों की बुआई का अनुकूल समय माना जाता है, लेकिन जुलाई के 4 दिन निकल जाने के बाद भी बारिश के अभाव में फसलों की बुआई नहीं हो पाई है। किसानों का कहना है देसी फसलों की बुआई के लिए आषाढ़ का मध्यांतर समय ही अनुकूल होता है। बाद में संकर की बुआई ही उपयुक्त होती है। क्योंकि संकर फसलें कम समय में तैयार हो जाती हैं।

टिड्डी नियंत्रण के प्रयास, किसानों को बांटे पोस्टर
बिलांदरपुर. ग्राम करीरी में कृषि विभाग के तत्वावधान में शनिवार को कृषि पर्यवेक्षक रोहिताश यादव की अध्यक्षता में टिड्डी नियंत्रण के लिए पोस्टर चस्पा कर किसानों को बांटे गए। यादव ने बताया कि किसानों को उन्नत बीज, बीजोपचार सहित आधुनिक खेती के मूलमंत्र बताते हुए टिड्डी नियंत्रण की जानकारी दी। साथ ही मास्क, सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखना और सामूहिक कार्यक्रमों से दूर रहने पर जोर दिया। पटवारी प्रकाश यादव, ग्राम सचिव बृजेश शर्मा, रामवतार जाट सोसायटी प्रबंधक, किसान कैलाश यादव, रामेश्वर यादव भी मौजूद थे।