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जानिये शरद पूर्णिमा पर खीर खाने का राज

शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती हैं, इसके बाद उसे खाया जाता है।

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Ashish Kumar Pandey

Oct 15, 2016

kheer

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बहराइच. आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। यूं तो हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व उन सभी से कहीं अधिक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है। इस बार शरद पूर्णिमा 15 अक्टूबर शनिवार को है। जानिए शरद पूर्णिमा की रात इतनी खास क्यों है,

इस रात को चंद्रमा से बरसता है अद्भुत अमृत

शरद पूर्णिमा से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती हैं, इसके बाद उसे खाया जाता है। कुछ स्थानों पर सार्वजनिक रूप से खीर का प्रसाद भी वितरण किया जाता है।

खीर खाने का ये है खास महत्व

शरद पूर्णिमा की रात का अगर मनोवैज्ञानिक पक्ष देखा जाए तो यही वह समय होता है जब मौसम में परिवर्तन की शुरूआत होती है और शीत ऋतु का आगमन होता है। शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी से हमें जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी।

आरोग्य व पुष्टि देने वाली होती है अमृत वर्षा की खीर

शरद पूनम (15 अक्टूबर 2016 शनिवार) की रात को आप जितना दूध उतना पानी मिलाकर आग पर रख दें और खीर बनाने के लिए उसमें यथा योग्य चावल तथा शक्कर या मिश्री डालें। पानी बाष्पीभूत हो जाय, केवल दूध और चावल बचे, बस खीर बन गयी, जो दूध को जलाकर तथा रात को बादाम, पिस्ता आदि डाल के खीर खाते हैं उनको तो बीमारियाँ का सामना करना पड़ता है। उस खीर को महीन सूती कपड़े, चलनी या जाली से अच्छी तरह ढक कर चन्द्रमा की किरणों में पुष्ट होने के लिए रात्रि 9 से 12 बजे तक रख दें। बाद में जब खीर खायें तो पहले उसे देखते हुए 21 बार नमो नारायणाय। जप कर लें तो वह औषधि बन जायेगी।

इससे वर्ष भर आपकी रोग प्रतिकारक शक्ति की सुरक्षा व प्रसन्नता बनी रहेगी। मान्यताओं के मुताबिक शरद पूर्णिमा की रात में खुले आकाश के नीचे चाँद की रोशनी में रखी गयी खीर का सेवन करने मात्र से सांस की बीमारियों के साथ ही तमाम तरह की बीमारियों से लोगों को निजात दिलाने की शक्ति इस शरद पूर्णिमा की रात में रखी गयी खीर के अंदर व्याप्त हो जाती है इसी मान्यता के अनुसार सैकड़ों वर्षों से नोरोगी काया प्राप्त करने के लिए लोग अपने अपने घरों में धार्मिक अनुष्ठान कर शरद पूर्णिमा की रात में खुले गगन के नीचे अमृतमयी वर्षा के द्वारा तामाम रोगनाशक शक्तियों से परिपूर्ण अमृतमयी खीर की प्राप्ति के लिए मान्यताओं के मुताबिक पिछले काफी अरसे से परम्पराओं के मुताबिक रखते हैं चले आ रहे हैं लोगों में इस रात की एक अलग मान्यता है