वन
क्षेत्र के मध्य आयोजित फील्ड एक्सपोज़र के दौरान तामिलनाडू से आये
विशेषज्ञों सुरेश व राजा ने बड़े जीवों जैसे बाघ, हिरन, सांभर, नीलगाॅय,
जंगली सुअर इत्यादि चैपायों को फसाये जाने के लिए वन अपराधियों के प्रयोग
में लाये जाने वाले खाभड़ एवं कुड़का के कार्य करने के तौर तरीकों, इन्हें
स्थापित किये जाने के स्थानों की पहचान तथा निष्क्रिय करने के सम्बन्ध में
जानकारी प्रदान की। इसके अतिरिक्त एसटीएफ के जवानों ने छोटे जीवों जैसे
खरगोश, मेढ़क, चूहे, नेवला, पैंगोलिन तथा साॅप इत्यादि को फंसाये जाने के
लिए उपयोग में लाये जाने वाले फंदों के सम्बन्ध में भी अतिमहत्वपूर्ण
जानकारी उपलब्ध करायी।
फील्ड
एक्सपोज़र के दौरान विषय विशेषज्ञों द्वारा वन एवं एसएसबी के अधिकारियों एवं
कर्मचारियों को इस बात की भी जानकारी दी की कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान
देने से घने जंगलों में उन स्थलों की खोज की जा सकती है जहाॅ पर शिकारियों
द्वारा छिपाकर फंदों को लगाया गया है। एसटीएफ जवानों ने मामूली सी दिखने
वाली सामग्री जैसे एक छोटी सी रस्सी, बाॅस के टुकड़े तथा पेड़ की टहनियों के
उपयोग से कारगर फंदे बनाये जाने तथा उनकी पहचान करने के सम्बन्ध में उपयोगी
जानकारी प्रदान करते हुए वन अपराधियों पर काबू पाने के तौर तरीकों से भी
अवगत कराया। जिससे प्रर्वतन एजेन्सी के मुठ्ठी भर लोग अपने से दोगुने लोगों
पर जंगल के बीच आसानी से नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि
एसटीएफ तामिलनाडू से आये जवान उस संस्थान के सदस्य हैं जिन्होंने
विश्वविख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन गैंग के सफाये में मुख्य भूमिका निभायी
थी।