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अजब गजब : मौत के दो साल बाद भी स्कूल में ‘हाजिर’ मास्टर जी

मध्य प्रदेश में एम-शिक्षामित्र एप का कारनामा, मौत के सालों बाद भी यहां रोजाना लग जाती है शिक्षकों की अटेंडेंस।

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अजब गजब : मौत के दो साल बाद भी स्कूल में 'हाजिर' मास्टर जी

एम-शिक्षामित्र एप को लेकर शुरू से ही शिक्षकों विरोध देखने को मिल रहा है, लेकिन सामने आए नए प्रकरण ने एम-शिक्षामित्र की अजीबो गरीब खामी उजागर की है। दरअसल, मुख्यालय के बूढ़ी स्कूल में पदस्थ दो शिक्षकों की मौत हो जाने का बाद भी एम-शिक्षामित्र एप में उनकी ऑनलाइन अटेंडेंस रोजाना लग रही है। इसका मतलब ये हुआ कि, मौत के दो साल बाद भी ये दोनों शिक्षक रोजाना बच्चों को पढ़ाने स्कूल पहुंच रहे हैं।

ये कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं बल्कि बालाघाट जिले के एक स्कूल की हकीकत है। नगरीय क्षेत्र के वार्ड क्रमांक एक सागौन वन बूढ़ी स्कूल से एक ऐसा ही अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहां दो साल पहले मृत हो चुके शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी एप के जरिए शासन तक रोजाना पहुंच रही है। इसमें चौकने या डरने की आवश्यकता नहीं है बल्कि यह एम-शिक्षामित्र ऐप की खामियों को उजागर करने वाला मामला है।

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ई-अटेंडेंस अनिवार्य

दरअसल, भारी विरोध के बावजूद शिक्षा विभाग ने एक बार फिर ई-अटेंडेंस कंम्पलसरी करने का नियम लागू कर दिया है। आदेश के तहत सभी सरकारी स्कूलों में भले ही बच्चे न पहुंचें, लेकिन शिक्षकों को स्कूल पहुंचकर एम-शिक्षामित्र एप पर ई-अटेंडेंस लगाना जरूरी है। विभाग का ये आदेश शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


किसी की दो तो किसी की चार साल पहले हुई मौत

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सागौन वन में स्थित शासकीय माध्यमिक शाला बूढ़ी बालाघाट में 11 शिक्षक, शिक्षिकाओं के पदस्थ स्वीकृत हैं, जबकि हर साल एक शिक्षक की प्रतिपूर्ति अतिथि शिक्षक के तौर पर शासन द्वारा की जाती है। इस स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठक रनमत सिंह धुर्वे की साल 2021 में मौत हो चुकी है तो वहीं स्कूल के सहायक शिक्षक जॉय पटोले कि, साल 2019 में मौत हो चुकी है। प्रधान पाठक और सहायक शिक्षक की मौत के बाद भी अबतक सरकारी रिकॉर्ड से मृत शिक्षकों की जानकारी अपडेट नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि, एम-शिक्षामित्र एप में शिक्षकों के नाम हटाने या जोड़ने का कोई ऑप्शन ही नहीं है, जिसके चलते एप मृत शिक्षकों की रोजाना हाजिरी अपने आप लगा रहा है।


नहीं बन रही सैलरी

एप के नए वर्जन के जरिए शिक्षकों की अटेंडेंस को सैलरी से भी जोड़ दिया है। बताया जा रहा है कि, अगर एप से अटेंडेंस नहीं लगाई तो वेतन भी जनरेट नहीं होगा इसलिए शिक्षकों को हर हाल में ई-अटेंडेंस लगानी ही है। वहीं, जबतक ई-अटेंडेंस लगाने का काम पूरा नहीं होता। तबतक एप क्लोज नहीं होता। ऐसे में या तो शिक्षकों को मृत शिक्षकों की अटेंडेंस लगानी पड़ती है या एप अपने आप उनकी अटेंडेंस लगा देता है। हालांकि, इस एप में मृत शिक्षकों की सिर्फ हाजिरी लग रही है, लेकिन उनकी सैलरी नहीं बन रही।