
हादसों से भी सबक नहीं ले रहे जिम्मेदार-
नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। लेकिन शासकीय स्कूलों की हालत में कोई सुधार नहीं आया है। आज भी दशकों पुराने जर्जर स्कूल भवनों में कक्षाएं संचालित हो रही है। जबकि पिछले वर्षो में स्कूल की जर्जर से प्लास्टर गिरने से बच्चों और शिक्षकों के चोटिल होने के कई मामले सामने आ चुके थे। लेकिन इन घटनाओं से भी जिम्मेदार सबक नहीं ले रहे हैं। कहीं अत्यंत जर्जर स्कूल भवन तो कही एक कमरें ही 1 से 5 तक की सभी कक्षाएं लगाई जा रही है। पत्रिका ने ऐसे ही कुछ एक स्कूल भवन का मुआयना किया तो हालात चिंताजनक नजर आए।
लांजी क्षेत्र का परसवाड़ा प्राथमिक स्कूल का भवन आजादी के 07 साल बाद 1954 में बना गया था। 2020 तक यहां 01 से 05 तक की प्राथमिक कथाएं संचालित हो रही थी। स्कूल की खस्ता हालत को देख 2020 में यहां एक अतिरिक्त कक्ष बनाया गया। वर्तमान में बारिश पानी झेलकर पूरा स्कूल भवन जर्जर हो गया है। अतिरिक्त कक्ष की छत भी कमजोर होकर टपकनी लगी है। लेकिन कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण इसी एक मात्र कक्ष में एक से पांच तक की कक्षाएं लगाई जा रही है।
बिरसा क्षेत्र के वार्ड 11 ग्राम लोरा का शासकीय प्राथमिक स्कूल का भवन भी जर्जर होकर खंडहर में तब्दील हो गया है। लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण इसी जर्जर भवन में कक्षाएं लगाई जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि इस भवन का निर्माण सन् 1973-74 में हुआ था। अब यह भवन जर्जर हालत में है। ग्रामीण पिछले पांच छह साल से शासन प्रशासन को अवगत करा कर नए भवन की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बच्चों के साथ अनहोनी घटना व हादसे की आशंका बनी हुई है।
जर्जर स्कूल भवनों को लेकर ऐसा नहीं है कि स्थानीय कर्मचारियों ने वरिष्ठों को जानकारी न दी हो। बल्कि कई बार जनपद स्तर से लेकर जिला स्तर तक ऐसे स्कूलों की जानकारी व शिकायत दी गई। लेकिन ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिला स्तर के अधिकारी बजट का अभाव बताते हैं। वहीं स्थानीय स्टॉफ को मजबूरन भय के साय में शिक्षण कार्य करवाना पड़ रहा है।
वर्सन
हमने पिछले वर्ष स्कूल की समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन शिकायत की थी। लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं किया गया। आज भी बच्चे स्कूल के जर्जर कमरे में पढऩे मजबूर हैं।
प्रेम बहादुर सिंह, गणमान्य
प्राथमिक माध्यमिक स्कूलों के नए भवन या मरम्मत को लेकर अलग से कोई फंड नहीं आता है। हालाकि इस तरह के स्कूलों की जानकारी एकत्र कर व्यवस्था बनाने प्रयास किए जा रहे हैं।
घनश्याम प्रसाद बर्मन, डीपीसी
Published on:
27 Jun 2025 12:29 pm
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