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शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन को प्रभावी बनाने का निर्णय

सिविल सर्विस दिवस पर हुआ कार्यशाला का आयोजन

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बालाघाट. सिविल सिर्वस दिवस पर 20 अप्रैल को कलेक्टर डीवी सिंह की अध्यक्षता में सभी विभागों के अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला में शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने और उनके क्रियान्वयन को और प्रभावी बनाने के संबंध में चर्चा की गई। कार्यशाला में संयुक्त कलेक्टर मीना मसराम, डिप्टी कलेक्टर संतोष चंदेल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री अरूण श्रीवास्तव, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री वीएस वर्मा, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ परेश उपलप, एकीकृत बाल विकास सेवा की जिला कार्यक्रम अधिकारी लीना चौधरी और अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग की आयुष्मान भारत योजना, राज्य बीमारी सहायता योजना, बाल हृदय उपचार योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना, कुपोषण निवारण, पोषण पुनर्वास केन्द, जिले में जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, श्रमिकों के लिए संचालित योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई और जिले में इन योजनाओं की स्थिति पर जानकारी दी गई। कलेक्टर सिंह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि सभी विभागों की योजनाएं जनता के कल्याण के लिए बनाई जाती है। सिविल सेवा में आए शासकीय सेवकों का दायित्व है कि वह इन योजनाओं का क्रियान्वयन अच्छे से करें। जिससे योजनाओं का लाभ जनता को समय पर मिल सके। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जनता की समस्या का त्वरित निराकरण करें और अपने कार्यों को जिम्मेदारी से करें। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2018 से बालाघाट जिले में भी आयुष्मान भारत योजना लागू हो रही है। अब तक मनरेगा बजट के मामले में सबसे बड़ी योजना है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान योजना अब तक की सबसे बड़ी योजना है। इस योजना के पात्र लोगों को चिन्हित करना और उन्हें लाभ दिलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। उन्होंने महिला सशक्तिकरण अधिकारी से कहा कि वे जिले में ऐसी युवतियों को आगे लाएं जो नए क्षेत्र में रोजगारमूलक कार्य कर सकंे। युवतियों को ड्रायविंग का प्रशिक्षण दिलाएं। जिससे उन्हें बैंक से ऋण दिलाकर आटो उपलब्ध कराया जाएगा। यह जिले में एक नई शुरूआत होगी। कलेक्टर सिंह ने जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रों को अधिक आकर्षक बनाए जाने की आवश्यकता बताई और कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार के प्रति जागरूकता पर अधिक जोर देना चाहिए। आंगनबाड़ी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को गर्भधारण के बाद से अपने आहार पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। कार्यशाला में अन्य विभागों के अधिकारियों ने भी विचार रखे और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर अपने सुझाव भी दिए।


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