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श्रीकृष्ण और वासुदेव की जीवंत झांकी ने मोहा मन

धर्मातंरण के विरोध में धर्म प्रचार के लिए खुलकर भी आगे आना पड़ेगा तो हम आएंगे- नागार्चसंगीतमय अष्टोत्तरशत मूलपाठ श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ रहा भक्तों का सैलाब

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श्रीकृष्ण और वासुदेव की जीवंत झांकी ने मोहा मन

श्रीकृष्ण और वासुदेव की जीवंत झांकी ने मोहा मन

बालाघाट/वारासिवनी. अष्टोत्तरशत मूलपाठ श्रीमद्भागवत कथा रसोत्सव में हजारों भक्तों ने श्रीकृष्ण जन्म उत्सव में शामिल होकर बधाई व नृत्य किया। वृंदावन के रसिक भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने अपनी रसमयी वाणी से श्रीकृष्ण जन्म के भावार्थ को बताकर धर्म की एक नई अलख भी जगाई। कथा स्थल पर सांसद डॉ ढालसिंह बिसेन, विधायक व अध्यक्ष खनिज विकास निगम प्रदीप जायसवाल भी पहुंचे थे।
प्रभु श्रीराम ने की वनवासियों की सेवा
नागार्च ने भागवत कथा में क्षेत्र में चल रहे धर्मातंरण को समझते हुए विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आप सभी भागवत कथा में शामिल हो रहे हैं, बेहद अच्छी बात है। हम अपनी जिम्मेदारी सभी जगह निभा रहे हंै, यह भी सही है। लेकिन अब धर्मातंरण के विरोध में हम सभी को धर्म प्रचार की जरूरत पड़ी तो हमें खुलकर भी आगे आना पड़ेगा तो हम आएंगे। प्रभु श्रीराम राजघराने के होने के बाद भी वनवासी राम बनकर वनवासियों की सेवा एक सेवक के रूप में की है।
श्रीकृष्ण जन्म पर झूमें श्रद्धालु
श्री कृष्ण जन्म के दिवस भक्तों ने पुरे परिसर को मथुरा का स्वरूप दे दिया। जैसे ही प्रंसग आया भक्तों ने बधाई गीत के माध्यम से तरह तरह की सामग्री बधाई स्वरूप वितरीत कर पुष्पों की वर्षा कर माहौल को पूर्णतह धर्ममय बना दिया। विशेषकर वासुदेव जी व बाल स्वरूप श्री कृष्ण की झांकी ने भक्तों को भाव विभोर कर दिया। स्वंय विधायक व पत्नी ने बधाई वितरित कर लंबे समय तक भक्तों के साथ नृत्य किया। पूरे प्रागंण में भक्तों का सैलाब पूरी लगन के साथ भागवत कथा में शामिल होने से नगर ही नहीं अपितू आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में भी आयोजन की सफलता की गुंज नजर आ रही है।