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संसार में रहकर ही मनुष्य भक्ति कर सकता है

नांदी में श्रीमद भागवत कथा का हो रहा है आयोजन

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balaghat

संसार में रहकर ही मनुष्य भक्ति कर सकता है

बालाघाट/कटंगी. अंचल की ग्राम पंचायत नांदी में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया। इस कथा के दूसरे दिन कथावाचक सुखपाल महाराज ने राजा परीक्षित को ऋंगी श्राप, सुखदेव जन्म, सृष्टि वर्णन, कपिल अवतार, राजा दक्ष का यज्ञ विध्वंश, धुव्र चरित्र एवं प्रियवर्त चरित्र की कथा सुनाई।
कथावाचक ने कहा कि संसार में सार है। मनुष्य इसमें रहकर भक्ति कर सकता है। जिससे अपना जीवन, परलोक सुधार सकता है। भागवत दर्पण का कार्य करती है जैसे दर्पण हमारे शरीर की अच्छाई बुराई को दिखाता है उसी प्रकार श्रीमद भागवत हमारे मन, ह्रदय की अच्छाई बुराई को दर्शाती है इसीलिए भागवत को आइना भी कहा गया है। उन्होंने राजा परीक्षित की श्राप कथा का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार राजा परीक्षित आखेट के लिए वन में गए। वन्य पशुओं के पीछे दौडऩे के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गए तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुंच गए। वहां पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किए हुए तथा शान्तभाव से एकासन पर बैठे हुए ब्रह्मध्यान में लीन थे। राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा किन्तु ध्यानमग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया। सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुए कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानस्थ होने का ढोंग कर के मेरा अपमान कर रहा है। उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया। उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुए एक मृत सर्प को अपने धनुष की नोंक से उठा कर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापस आ गए। लेकिन उनके पुत्र ऋंगी ऋषि को जब इस बात का पता चला तो उन्हें राजा परीक्षित पर बहुत क्रोध आया। ऋंगी ऋषि ने कमंडल से अपनी अंजुली में जल ले कर तथा उसे मन्त्रों से अभिमन्त्रित करके राजा परीक्षित को यह श्राप दे दिया कि जा तुझे आज से सातवें दिन तक्षक सर्प डसेगा। कुछ समय बाद शमीक ऋषि के समाधि टूटने पर उनके पुत्र ऋंगी ऋषि ने उन्हें राजा परीक्षित के श्राप के बारे में बताया। श्राप के बारे में सुन कर शमीक ऋषि को दु:ख हुआ और उन्होंने अपने पुत्र से कहा कि जरा सी गलती के लिए तूने राजा को घोर श्राप दे डाला। राजा ने जो कृत्य किया वह जान बूझ कर नहीं किया है, उस समय वह कलियुग के प्रभाव में था। इसके अलावा उन्होंने अनेक धार्मिक जानकारियां दी। कथा के बीच में प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर हो गए। नांदी में प्रतिदिन दोपहर 12 से 4 बजे कथा का वाचन हो रहा है। यह कथा 10 जनवरी तक चलेगी।