
कोयलारी में जंगल से हो रहा रेत खनन
कटंगी/तिरोड़ी। वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सीतापठोर सर्किल के कोयलारी में जंगल से माफिया अवैध तरीके से रेत का खनन कर सरकारी स्कूल के ग्रांउड में भंडारण कर रहे हैं। इस अवैध रेत खनन में वनरक्षक की भूमिका काफी संदिग्ध है। ग्रामीणों का आरोप है कि वनरक्षक के संरक्षण में बीते कई महीनों से अवैध रेत खनन की जा रही है। जबकि सूत्रों की माने तो वनरक्षक को वन परिक्षेत्र अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। जिसके चलते खनन माफिया और वन रक्षक की आपसी सांठ-गांठ से रेत खनन हो रहा है। बता दें कि कोयलारी में जंगल के भीतर बहने वाले नालों में जगह-जगह अवैध रेत खनन की जा रही है। हर दिन दर्जनों ट्रेक्टर ट्राली रेत खनन कर भंडारण की जा रही है। वन कर्मियों का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से राजस्व अमला भी इस खनन पर रोक नहीं लगा पा रहा है। इस संबंध में जब वन अधिकारी से चर्चा की गई तो उन्होंनें वहीं रटा-रटाया जवाब देते हुए कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक खनन माफिया रात करीब 10 बजे जंगल में प्रवेश करते हैं। इसके बाद पूरी रात अवैध रेत खनन और परिवहन का सिलसिला चलता है। बताया जा रहा है कि अवैध रेत खनन की जानकारी विभाग के अफसरों को भी है, लेकिन इसके बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाती है। यदा-कदा जब विभाग के वरिष्ट अधिकारी या फिर उडऩदस्ता दल भ्रमण करता है, तो क्षेत्रीय अफसर माफियाओं को पहले से ही सर्तक कर देते हैं, इस कारण भ्रमण के दौरान वरिष्ट अफसर खाली हाथ ही लौट जाते है। ग्रामीणों का तो यह भी आरोप है कि वनरक्षक जंगलों में अवैध रेत खनन और परिवहन करने वाले लोगों से सतत संपर्क में रहते है।
गौरतलब हो कि इन दिनों रेत की मांग और कीमत दोनों आसमान पर है। ऐसे में जंगल से बहने वाले नदी-नालों से अवैध रेत का दोहन हो रहा है। कोयलारी के ग्रामीणों ने बताया कि यहां जंगल में होने वाले अवैध रेत खनन के बदले वनकर्मी माफियाओं से लेन देन कर रहे हैं और इसके बदले रेत उत्खनन कर्ताओं को खुली छूट दी रखी है। खनन माफियाओं पर पुलिस प्रशासन भी कोई अंकुश नहीं लगा पा रहा है। सबसे खास बात तो यह है कि कृषि कार्य के लिए स्वीकृत ट्रैक्टर-ट्रॉलियां दिन-रात खनन कार्य में जुटी है। जिनके पास कामर्शियल लाइसेंस तक नहीं हैं, जिससे सरकार को राजस्व के रूप में दोहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्रों की मानें तो कोयलारी जंगल से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में रेत लाने वालों से प्रति ट्राली 800 रुपए तक की वसूली की जा रही है, लेकिन यह पैसा किसकी जेब में जा रहा है, यह जांच का विषय है। बहरहाल, जंगल में नालों से होने वाले रेत खनन के चलते नालों का रुख बदलने लगा है। जिससे भविष्य में वनप्राणियों को पानी के लिए भटकना पड़ सकता है।
Published on:
23 Mar 2019 07:49 pm
बड़ी खबरें
View Allबालाघाट
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
