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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 16 को, मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे कलाकार

घर-घर विराजेंगे बाल गोपाल, पूरी रात गूंजेंगे श्रीकृष्ण के जयकारें

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घर-घर विराजेंगे बाल गोपाल, पूरी रात गूंजेंगे श्रीकृष्ण के जयकारें

घर-घर विराजेंगे बाल गोपाल, पूरी रात गूंजेंगे श्रीकृष्ण के जयकारें

भादों मास की अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाला श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व इस बार 16 अगस्त को भक्तिमय माहौल में मनाया जाएगा। श्रद्धालुओं ने घर-घर लड्डू गोपाल भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने जोर शोर से तैयारी की है। विधि-विधान से पूजा अर्चना कर श्री कृष्ण के जयघोष व भजन कीर्तन कर रतजगा किया जाएगा। शहर के पुराने श्रीराम मंदिर, कृष्ण मंदिर में रात्रि कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। वहीं बड़ी संख्या में घरों में प्रतिमा स्थापित कर जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

जन्माष्टमी पर्व को लेकर बाजार में काफी चहल-पहल चल रही है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा व पूजन सामग्री की दुकानें सजी हुई है। मूर्तिकार भी प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं। वहीं बाहर गांव के ग्रामीण प्रतिामाओं की खरीदी करने पहुंच भी रहे हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर लाई, चना का महत्व रहता है। इससे लाई चना फोडऩे वालों के घर भी ग्राहकों की भीड़ नजर आ रही है। इसके अलावा बांस से बना पारणा व फल सहित पूजन सामग्री की बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध है।

ज्योतिषाचार्यो ने बताया मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य प्रो. डॉ अरविंद चंद तिवारी के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 16 अगस्त को रात 9 बजकर 34 मिनट पर होगा। जन्माष्टमी का पूजन मुहूर्त 16 अगस्त को रात 12 बजकर 4 मिनट पर शुरू होकर 12 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। जिसकी अवधि कुल 43 मिनट की रहेगी।
जन्माष्टमी का त्योहार हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात के 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार यह पावन पर्व 16 अगस्त को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह दिन भगवान कृष्ण के बाल्यावस्था के स्वरूप को श्रद्धा से याद करने और उनकी पूजा-अर्चना का अवसर होता है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरी भक्ति के साथ श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं।

मूर्ति विसर्जन 17 को

कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन 17 अगस्त को शहर के प्रमुख नदी तालाबों में श्रीकृष्ण की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। इन स्थानों पर प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि कोई अप्रिय घटना घटित न हो। वहीं गोंविदाओं की टोलियों में इस बार भी खासा उत्साह नजर आ रहा है। जिनके द्वारा डीजे की धुन पर मटकी फोड़ का आयोजन किया जाएगा। 17 अगस्त को दोपहर में गोंविदाओं की टोली नाचते गाते निकलेगी, वहीं इनके पीछे प्रतिमा विसर्जन का सिलसिला शुरू हो जाएगा।