इसमें आसुरी शक्तियां होती हैं ताकतवर
चार माह के लिए भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं तब सृष्टि के सर्वनाश के लिए बुरी और आसुरी शक्तियां अत्याधिक ताकतवर हो जाती है। इन शक्तियों को कमजोर करने और देवताओं को ताकत पहुंचाने के लिए बड़ी मात्रा में पूजा-पाठ और धार्मिक कृत्य किए जाते हैं। इसीलिए हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास से प्रारंभ होने वाले चतुर्मास का विशेष महत्व है। इन धार्मिक कृत्यों में विशेष रूप से बनी धातु की सामग्रियों का ही उपयोग किया जाता है।
चार माह के लिए भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं तब सृष्टि के सर्वनाश के लिए बुरी और आसुरी शक्तियां अत्याधिक ताकतवर हो जाती है। इन शक्तियों को कमजोर करने और देवताओं को ताकत पहुंचाने के लिए बड़ी मात्रा में पूजा-पाठ और धार्मिक कृत्य किए जाते हैं। इसीलिए हिन्दू धर्म में आषाढ़ मास से प्रारंभ होने वाले चतुर्मास का विशेष महत्व है। इन धार्मिक कृत्यों में विशेष रूप से बनी धातु की सामग्रियों का ही उपयोग किया जाता है।
चतुर्मास में भूलकर भी न करें ये काम
1-चतुर्मास में चौंकी या बेड पर नहीं सोना चाहिए। फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत ही शुभ माना जाता है। इन 4 महीनों में अधिकतर समय तक मौन रहना चाहिए। हो सके तो दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।
1-चतुर्मास में चौंकी या बेड पर नहीं सोना चाहिए। फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत ही शुभ माना जाता है। इन 4 महीनों में अधिकतर समय तक मौन रहना चाहिए। हो सके तो दिन में केवल एक बार ही भोजन करना चाहिए।
2-इस दौरान मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित है। सहवास न करें और झूठ न बोलें। 3-शहद या अन्य किसी प्रकार के रस का प्रयोग न करें। बैगन, मूली और परवल न खाएं।