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डूब गयी जननायक चंद्रशेखर यूनिवर्सिटी, नाव से परिसर तक पहुंच रहीं कुलपति और रजिस्ट्रार

Water Logging in Jannayak Chandrashekhar University Ballia- उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बसंतपुर स्थित जननायक चंद्रशेखर विश्विद्यालय (Chandrashekhar University) बारिश के पानी में भीग कर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। यूनिवर्सिटी की हालत एक बार फिर दो वर्ष पहले जैसी हो गई है। यूनिवर्सिटी कैंपस के चारों तरफ पानी भर जाने से नाव चलाने की नौबत आ गई है।

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Water Logging in Jannayak Chandrashekhar University Ballia

Water Logging in Jannayak Chandrashekhar University Ballia

बलिया. Water Logging in Jannayak Chandrashekhar University Ballia. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बसंतपुर स्थित जननायक चंद्रशेखर विश्विद्यालय (Chandrashekhar University) बारिश के पानी में भीग कर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। यूनिवर्सिटी की हालत एक बार फिर दो वर्ष पहले जैसी हो गई है। यूनिवर्सिटी कैंपस के चारों तरफ पानी भर जाने से नाव चलाने की नौबत आ गई है। इससे विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए आवाजाही का संकट खड़ा हो गया है। इन अधिकारियों कर्मचारियों को नाव से ही आना-जाना पड़ रहा है। बता दें कि पिछले तीन दिनों से विश्वविद्यालय परिसर में नाव चल रही हैं। आलम ये है कि नाव से ही परिसर तक कुलपति और रजिस्ट्रार विवि पहुंचते हैं। कुलपति ने जिला प्रशासन पर जल निकासी की व्यवस्था में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।

आने जाने में परेशानी

बलिया के बसंतपुर के सुरहाताल के पास जननायक चंद्रशेखर विवि है। विश्वविद्यालय कैम्पस पूरी तरह से पानी मे डूब गया है। ऐसे में रजिस्ट्रार सहित स्टाफ को नाव के जरिए प्रशासनिक भवन तक जाना पड़ता है। दरसअल गंगा का जलस्तर बढ़ते ही बड़ी मात्रा में पानी कटहर नाले के ज़रिए सुरहाताल पहुंचता है पर नाले में गंदगी होने पानी वापस गंगा में नही जा पा रहा जिसका खामियाजा यूनिवेर्सिटी को भुगतना पड़ रहा है। कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय जिला प्रशासन पर मदद न करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि समस्या का हल नहीं निकल पा रहा। इससे स्कूल आने जाने के साथ ही एडमिशन में भी तकलीफ हो रही है।

दो साल से नहीं निकला हल

हाल ही में विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह हुआ था। इसमें उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा भी पहुंचे थे। इस दौरान उपमुख्यमंत्री कुलपति और जिला प्रशासन को मिलकर जल निकासी का विकल्प तलाशने और प्रस्ताव बनाने को कहा था। लेकिन इस दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं इसकी किसी को जानकारी नहीं। बीते दो वर्षों में इस समस्या का कोई स्थायी हल नहीं निकल सका है। हालांकि, पूर्व जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने विश्वविद्यालय परिसर को जलजमाव से मुक्ति दिलाने की दिशा में कुछ कदम उठाए थे लेकिन उनके जाने के बाद से स्थिति जस की तस है।

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