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सरकार की जय हो, पहली बारिश में धंस गई 20 मीटर सड़क

बीती रात हुई बारिश से यह देवरी बंगला तहसील कार्यालय के सामने पुलिया के पास लगभग 20 मीटर तक धंसक गई। इससे गिट्टी और डामर बाहर निकल गया है।

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पहली बारिश में धंस गई 20 मीटर सड़क

बालोद/देवरीबंगला. राजनांदगांव से अंतागढ़ स्टेट हाइवे में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी पोल पहली बारिश ने खोल दी। बीती रात हुई बारिश से यह देवरी बंगला तहसील कार्यालय के सामने पुलिया के पास लगभग 20 मीटर तक धंसक गई। इससे गिट्टी और डामर बाहर निकल गया है।

आवागमन में लोगों को परेशानी
सड़क के पहली बारिश नहीं झेल पाने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी इंजीनियर ने कमीशन के चलते किस प्रकार लोगों की जान से खिलवाड़ की है और घटिया सड़क का निर्माण करवाया है। पुल से लगी हुई सड़क कुछ दूर तक धंसक जाने से आवागमन में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सरकारी इंजीनियर अपने कर्तव्यों को भूल गए हैं।

मुरुम की जगह काली मिट्टी का उपयोग
लापरवाह इंजीनियर को घटनाएं आम नजर आ रही हैं। निर्माण के दौरान इंजीनियर को कई तरह की खामियों से अवगत कराया गया था। जैसे सुरक्षा को लेकर उदासीनता, सड़क का परिवर्तित मार्ग का सूचना बोर्ड, खतरे का कोई सांकेतिक बोर्ड नहीं, लोहे के बड़े-बड़े छड़ खुले छोड़ कर अन्यत्र कार्य शुरू कर देना, गुणवत्तायुक्त मुरुम के स्थान पर काली मिट्टी का प्रयोग करना, निम्न स्तर की गिटटी डालना, रोलर का सही उपयोग नहीं करना, सड़क किनारे पिचिंग छोड़ देना, पानी निकासी के लिए नालियों का निर्माण नहीं कराना।

मौके से गायब रहते थे इंजीनियर
इंजीनियर कंपनी के अकुशल मिस्त्री को इंजीनियरिंग ड्राइंग सौंप कर निर्माण के दौरान स्थल पर अनुपस्थित रहते थे। स्थानीय लोगों ने गुणवत्ता को लेकर हंगामा किया तो वे सफाई देने लगते हैं। कहा जाता है इसकी शिकायत जहां करना कर लो। ऊंचे लोगों का छत्रछाया में यह सड़क बन रही है, कोई फर्क नहीं पड़ता है। कार्य पूर्ण करने की अवधि बीते एक साल होने के बाद भी कार्य की गति धीमी है तब कुछ नहीं कर पाए तो अब कितना भी कुछ कर लो हमारा कोई क्या कर सकता है। छूटपुट कमियां तो चलती रहती है।

हो सकती है बड़ी दुर्घटना
उन्हें यह नहीं पता कि ये छुटपुट कमियां कब बड़ी दुर्घटना का रूप ले लेती है, इसका अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता है। इसके कारण लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ती है। इससे न तो ठेकेदार को फर्क पड़ता है और न ही जनप्रतिनिधि को। और न ही मंत्री, सरकारी अधिकारी, इंजीनियर को। फर्क पड़ता है तो केवल आम नागरिकों को।

अधिकारियों ने कहा
अमर बिल्डर प्रोजेक्ट मैनेजर पंडा से जब सड़क गुणवत्ता संबंधी जानकारी लेनी चाही गई तो उनका मोबाइल किसी दूसरे के पास था। वरिष्ठ इंजीनियर खंडेलवाल को सड़क धंसकने की जानकारी दी गई तो उन्हें इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी। जानकारी मिलने के बाद दिखवाने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया।