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स्कूलों की गुणवत्ता के साथ नहीं हुई मरम्मत, सीपेज के कारण कलामंच और सामुदायिक भवन में हो रही पढ़ाई

दो साल पहले जिला शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूलों की जानकारी मंगाई। शासन को रिपोर्ट भेजी। शासन ने स्कूल जतन योजना के तहत लगभग 900 से अधिक स्कूल की मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों खर्च किए।

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दो साल पहले जिला शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूलों की जानकारी मंगाई। शासन को रिपोर्ट भेजी। शासन ने स्कूल जतन योजना के तहत लगभग 900 से अधिक स्कूल की मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों खर्च किए।

School Jatan Yojana दो साल पहले जिला शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूलों की जानकारी मंगाई। शासन को रिपोर्ट भेजी। शासन ने स्कूल जतन योजना के तहत लगभग 900 से अधिक स्कूल की मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए करोड़ों खर्च किए।

कार्य कब होगा शुरू, पता नहीं

स्कूलों का सही गुणवत्ता के साथ काम नहीं कराया गया। आज भी कई ऐसे स्कूल हैं, जहां बैठने लायक जगह नहीं है। मजबूरी में कलामंच व सामुदायिक भवनों में बच्चों को बैठाकर पढ़ाई कराई जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री के घोषित स्कूल भवन निर्माण के लिए प्रशासकीय स्वीकृति के बाद भी शासन स्तर पर लटक गया है। शासन व प्रशासन जर्जर स्कूल भवनों के प्रति गंभीर है या नहीं, यह समझ से परे है।

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कई स्कूलों में मरम्मत के बाद सीपेज

बीते साल लगभग 465 से अधिक स्कूलों के भवनों के मरम्मत के लिए ही लगभग 6 करोड़ रुपए की राशि आई थी। इनमें से कुछ जगहों पर आज तक काम शुरू नहीं हुआ है। स्कूल जतन योजना के तहत मरम्मत के बाद कई जगह सीपेज होने लगा है। कई बार ग्रामीणों द्वारा कलेक्ट्रेट आकर व्यवस्था सुधारने की मांग की है, लेकिन आज तक व्यवस्था को सुधारने में शिक्षा विभाग एवं जिला प्रशासन ने ठोस कदम नहीं उठाया है।

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करियाटोला व नग्गूटोला में कलामंच में लग रही कक्षाएं

डौंडीलोहारा विकासखंड के ग्राम करियाटोला व नग्गूटोला ऐसे गांव है, जहां बच्चे कला मंच में बैठकर पढ़ाई करते हैं। सिर्फ अधिकारी निरीक्षण करने आए, लेकिन स्कूल भवन की मरम्मत कैसे होगी, आगे क्या कार्रवाई हो रही है, इसकी कोई जानकारी नहीं है।

शासन से पुन: स्वीकृति मिलेगी या नहीं, विभाग मौन

प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद जो प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी व टेंडर की प्रक्रिया चल रही थी, अब वह शासन स्तर पर लंबित हो गई है। ऐसे में जिला शिक्षा विभाग भी कोई जवाब नहीं दे रहा है।

जनप्रतिनिधि भी मौन, शासन के पास नहीं रख पा रहे बात

पूर्व में प्रशासकीय स्वीकृति मिलने के बाद अटके कार्य को जल्द शुरू कराने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों को जिस दमदारी के साथ शासन के पास बात रखनी चाहिए, वह नहीं रख पा रहे है। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति डौंडीलोहारा विधानसभा क्षेत्र की है। यहां जंगल क्षेत्र के स्कूलों का हाल-बहाल है।

प्रशासकीय स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हुए कार्य

पीपरछेड़ी, कमकापार, सांकरा (ज) स्कूल भवन का नव निर्माण करने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात में घोषणा की थी। तीन साल बीतने को है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ।

जानकारी शासन व प्रशासन को दे दी है

बालोद जिला शिक्षा अधिकारी पीसी मरकले ने कहा कि इसकी जानकारी शासन व प्रशासन को दे दी गई है। शासन स्तर पर ही आगे की कार्यवाही होगी।