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सरकारी योजना का लाभ लेने नक्सली बनकर किया आत्मसमर्पण, पूछताछ में फूटा भांडा, तीन गिरफ्तार

नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर मिलने वाले पुनर्वास योजना का लाभ लेने फर्जी नक्सली बनकर आया एक व्यक्ति पकड़ा गया। बाद में पुलिस ने उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया।

नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर मिलने वाले पुनर्वास योजना का लाभ लेने फर्जी नक्सली बनकर आया एक व्यक्ति पकड़ा गया। बाद में पुलिस ने उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया।

Fake Naxalite नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर मिलने वाले पुनर्वास योजना का लाभ लेने फर्जी नक्सली बनकर आया एक व्यक्ति पकड़ा गया। बाद में पुलिस ने उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया। उनकी योजना के तहत मिलने वाली राशि को आपस में बांटने और सरकारी नौकरी हासिल करने की थी।

ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा

पुलिस के मुताबिक 24 सितंबर को बीजापुर निवासी बबलू उर्फ मधु नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने आया था। साथ ही बीजापुर निवासी सुदेश और ओमप्रकाश नेताम निवासी मानपुर उसके परिजन बनकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे थे। पुलिस ने नक्सली आत्मसमर्पण मामले में तीनों से कड़ाई से पूछताछ की और उनके परिजनों से भी जानकारी ली, तब पता चला कि कोई नक्सली नहीं है।

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रोजगार की तलाश में बने फर्जी नक्सली

पुलिस पूछताछ में तीनों ने बताया कि उसे रोजगार की तलाश है रोजगार नहीं मिल रहा था। एक नक्सली किताब हाथ लगी, जिसमें नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर शासन की योजना के तहत मिलने वाली सरकारी नौकरी व नगद राशि पाने नक्सली बनकर आत्मसमर्पण करने पहुंचे थे। पुलिस ने धारा 319(2), 61(2) के तहत न्यायिक रिमांड पर उन्हें जेल भेजा दिया।

ओमप्रकाश मास्टर माइंड, एक साल से बना रहा था योजना

बालोद एसडीओपी देवांश सिंह ठाकुर ने बताया कि फर्जी नक्सली मामले का मास्टर माइंड प्रकाश नेताम है। अपने दोस्त सुदेश के साथ मिलकर नक्सली के रूप में आत्मसमर्पण करने की योजना बनाई। सुदेश ने अपने साले बब्लू उर्फ मधु योजना के बारे में बताया। उसे नक्सली बनाया।

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इस तरह हुआ फर्जी नक्सली की पुष्टि

एसडीओपी ने बताया कि नक्सली आत्मसमर्पण करने के कुछ नियम है, जिसके तहत पूछताछ की गई। नक्सली बने बब्लू ने कहा कि उसे दो साल हुआ है। मानपुर मोहला कमेटी में नक्सली के रूप में भर्ती हुआ। जब उससे पूछा गया कि राइफल कब से पकड़ी। उसने बताया कि नक्सली में भर्ती होने के बाद, जबकि नक्सली तत्काल राइफल नहीं देते। उनके परिजनों से पूछताछ की, तब पता चला कि लोग गांव में ही रहते हैं। मानपुर मोहला पुलिस ने भी बब्लू के नक्सली होने की जानकारी को नकारा। फिर कड़ाई से पूछताछ में पूरी कहानी सामने आ गई।

मानपुर व बीजापुर में हो जाती आसानी से पहचान, इसलिए बालोद को चुना

बालोद में ही आत्मसमर्पण का कारण पुलिस ने पूछा तो तीनों आरोपियों ने कहा कि बीजापुर व मानपुर मोहला क्षेत्र में पहचान के लोग हैं। हम अपने आपको नक्सली बताते तो उस क्षेत्र के नक्सली हमें मार देते। बालोद क्षेत्र में पहचान के लोग नहीं है, इसलिए बालोद को चुना।