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राजिम पुन्नी मेला में सिर्फ 4 दिन शेष, मुख्य मंच और साधु-संतों के लिए कुटिया निर्माण नहीं हुआ पूरा

19 फरवरी से मेला का शुभारंभ किया जाएगा, लेकिन अब तक मुख्यमंच का निर्माण नहीं किया गया है।

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Rajim punni mela

राजिम पुन्नी मेला में सिर्फ 4 दिन शेष, मुख्य मंच और साधु-संतों के लिए कुटिया निर्माण नहीं हुआ पूरा

राजिम. राजिम पुन्नी मेला महोत्सव के आयोजन को लेकर जैसे-जैसे समय नजदीक आता जा रहा है, जिले के विभागीय अधिकारियों की काम की रफ्तार देखने को मिल रही है। वहीं अब ज्यादातर शेष काम राजधानी से ठेका लिए हुए कार्य ही बचा है। 19 फरवरी से मेला का शुभारंभ किया जाएगा, लेकिन अब तक मुख्यमंच का निर्माण नहीं किया गया है। वहीं, साधु संतों के लिए कुटिया निर्माण का कार्य भी अधर में हैं। इस संबंध में अधिकारी भी कुछ कहने से बच रहे हैं।

पीडब्ल्यूडी के राजिम एसडीओ पीएल पैकरा तथा प्रकाश शर्मा, सूरज ठाकुर देर शाम तक सडक़ निर्माण और मुख्य मंच के सामने दर्शक दीर्घा के समतलीकरण में लगे हुए थे। एसडीओ पैकरा ने बताया कि रेत की सडक़ बनकर तैयार है। पुल पुलिया भी मजबूती से बनाया गया है। पीएचई विभाग के द्वारा पाइप लाइन विस्तार कर लिया गया है। देर शाम मौके पर निरीक्षण के लिए पहुंचे राजिम एसडीएम जीडी वाहिले, तहसीलदार ओपी वर्मा, टीआई द्वय विकास बघेल, राकेश ठाकुर नदी में चल रहे कार्य की समीक्षा की। एसडीएम ने पीडब्ल्यूडी व वनविभाग के अधिकारियों से चर्चा करते हुए कार्य की प्रगति का हाल जाना। तहसीलदार वर्मा ने बताया कि सडक़ निर्माण पूरा हो चुका है। पाइप लाइन पूरी तरह बिछ चुकी है। ऊपर में दाएं बाएं तीस शौचालय का निर्माण कर लिया गया है। करीब 10 चलित बायो शौचालय मेले के दौरान आएगा। इधर, बड़े ठेका लिए ठेकेदारों का कोई अता-पता नहीं है।

सबसे महत्वपूर्ण पैरी तट पर बना मुख्य मंच है, जहां की सजावट खास रहती है, लेकिन अभी तक यहां एक धेला का काम नहीं हुआ है। इधर, शहर के प्रमुख मार्गों, वीआईपी रोड पर स्वागत गेट बनाया जा रहा है। डोम लगेगा या नहीं, साधु संतों के लिए कुटिया का निर्माण होना है कि यह सब अधर में लटका हुआ है, क्योंकि इस मामले में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। लोगों की उत्सुकता इसी के लिए बनी हुई है कि मेले का मुख्य आकर्षण साधु संत का आश्रम और कुटिया इस बार बनेगा या नहीं। बेरिकेटिंग्स के लिए वन विभाग के द्वारा बांस बल्ली बुधवार की देर शाम से गिरना शुरू हो गया। पुण्य स्नान के लिए कुंडों का निर्माण भी पूर्णता की ओर है। देर शाम महानदी की धारा पैरी और सोंढूर में मिलना शुरू हो गया।