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CG News: छत्तीसगढ़ के गांव में मुर्दा खाने वाले जानवर की एंट्री, ग्रामीणों में फैला दहशत

CG News: खेल मैदान के पास कबर बिज्जू जैसा दुर्लभ और खतरनाक वन्यजीव दिखाई देने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह जानवर अपनी निडरता, ताकत और तेज़ सूंघने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

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CG News: छत्तीसगढ़ के गांव में मुर्दा खाने वाले जानवर की एंट्री, ग्रामीणों में फैला दहशत

मुर्दा खाने वाला जानवर कबर बिज्जू (Photo Patrika)

CG News: क्या आपने कबर बिज्जू का नाम सुना है, अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते है। कबर बिज्जू एक मांसाहारी जानवर है, जिसे एशियन पाम सिविट या हनी बेजर के नाम से भी जाना जाता है। इसका नाम इसके स्वभाव और खाने की आदत के कारण पड़ा है, क्योंकि इसे अक्सर कब्र खोदकर या मृत जानवरों का मांस खाते हुए देखा जाता है। छत्तीसगढ़ के कसडोल जिले में सारंगढ़ खेल मैदान के पास कबर बिज्जू जैसा दुर्लभ और खतरनाक वन्यजीव दिखाई देने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह जानवर अपनी निडरता, ताकत और तेज़ सूंघने की क्षमता के लिए जाना जाता है।

मुर्दा खाने वाला जीव

रात में सक्रिय रहने वाला यह सर्वभक्षी जीव अक्सर मिट्टी खोदता है, जिसके कारण लोग इसे कब्रों से जोड़कर “मुर्दा खाने वाला” समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में यह मुख्य रूप से कीड़े-मकोड़े, फल और छोटे जानवरों का सेवन करता है। कबर बज्जू की मोटी चमड़ी, मजबूत पंजे और आक्रामक स्वभाव इसे अत्यंत खतरनाक बनाते हैं।

खेल मैदान में देखा गया

आमतौर पर जंगलों में मिलने वाला यह जानवर आज सारंगढ़ के खेल मैदान क्षेत्र में देखा गया, जिसके बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर क्षेत्र की घेराबंदी करते हुए जानवर की लगातार निगरानी कर रही है। वन विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे वहां भीड़ न लगाएं, वीडियो न बनाएं और सुरक्षित दूरी बनाए रखें।

वन विभाग ने बताया

कबर बिज्जू आमतौर पर पहाड़ी और घने जंगल वाले इलाकों में पाया जाता है। इसे सीवेट बिज्जू भी कहते हैं। इसके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, बगल और पेट काला तथा माथे पर चौड़ी सफेद धारी होती है। हर पैर पर पांच मजबूत नख होते हैं जो मांद खोदने के काम आते हैं। यह कबर खोदकर मुर्दा खा लेता है इसलिए इसे कबर बिज्जू कहते हैंं। यह मृत मवेशियों, छोटे कीट-पतंग, सरिसर्प तथा चूहों को खाता है। वहीं पेड़ पर चढ़कर फल आदि भी खाता है। यह जो बीज खाता है उसे फैलाता रहता है इससे जैव विविधता को काफी फायदा पहुंचता है। इसकी आयु 15 से 17 वर्ष की होती है। वहीं वजन करीब 10 किलो तक होता है।

कबर बिज्जू रात्रिचर होने के कारण रात को मांद से बाहर निकलता है। कई बार तो यह लोमड़ी की मांद में जाकर उसे भगा देता है और वहीं घर बना लेता है। यह कई फीट गहरे गड्ढे खोदकर मांद तथा ताड़ी के पेड़ खजूर और पाम के पेड़ों पर चढ़कर भी रहते हैं। कबर बिज्जू साल में एक बार प्रजनन करता है। मादा बिज्जू एक बार में 4 से 6 बच्चे देती है।