
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि आक्सीजन लेवल नीचे जाने से दिक्कत बढ़ सकती है और अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता सकता है।
बलरामपुर. कम गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा जाता है। कई बार लापरवाही के चलते उनकी हालत खराब हो जाती है। ऐसे में कोविड-19 को गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करें। बलरामपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम सिंह ने बताया कि आक्सीजन लेवल कम होना या सीने में लगातार दर्द व भारीपन होना, मानसिक भ्रम की स्थिति अथवा सचेत होने में असमर्थता, बोलने में दिक्कत, चेहरे या किसी अंग में कमजोरी और होंठों व चेहरे पर नीलापन आने की स्थिति में भी कंट्रोल रूम या तो चिकित्सक को बताना जरूरी है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि आक्सीजन लेवल नीचे जाने से दिक्कत बढ़ सकती है और अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता सकता है। उन्होंने बताया कि होम आइसोलेशन की गाइड लाइन में स्पष्ट निर्देश है कि कोरोना उपचाराधीन एवं देखभाल करने वाले व्यक्ति नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे और कोई बदलाव महसूस करेंगे तो चिकित्सक को अवगत कराएंगे। इसमें यह भी हिदायत है कि शरीर में आक्सीजन की संतृप्तता (सेचुरेशन) 95 प्रतिशत से कम होती है या सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है, तो कंट्रोल रूम से संपर्क करना चाहिए। ऐसा न करना घातक साबित हो सकता है।
कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर
उन्होंने बताया कि कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर होता है। संक्रमित मरीजों को जल्दी-जल्दी सांस लेना पड़ सकता है, जिसके चलते उन्हें थकान महसूस हो सकती है। इसके लिए जरूरी है कि अपने खानपान पर खास ध्यान दें और रोजाना सुबह सांस संबंधी व्यायाम करें। होम आइसोलेशन में रहने वालों उपचाराधीन पॉजिटिव मरीजों को समय-समय पर आक्सीजन स्तर की जांच करते रहना चाहिए। आक्सीजन का स्तर 95 से अधिक है, तो परेशान होने की कोई बात नहीं लेकिन यह 90 से 94 के बीच पहुंचता है, तो तत्काल कंट्रोल रूम या चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
थोड़ी सी लापरवाही मरीज पर पड़ सकती है भारी
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बी.पी. सिंह का कहना है कि होम आइसोलेशन में रहने वाले लक्षण विहीन कोविड पाजिटिव मरीजों को एक किट क्रय कर अपने पास रखनी होती है, जिसमें पल्स आक्सीमीटर, थर्मामीटर, मास्क, ग्लब्स, सोडियम हाइपोक्लोराईट साल्यूशन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली वस्तुएं शामिल होती हैं। ऑक्सीजन लेवल की जांच करने के लिए समय समय पर आक्सीमीटर से जांच करते रहना चाहिए। थोड़ी सी लापरवाही मरीज पर भारी पड़ सकती है।
इन बातों का रखें ख्याल
- देखभाल करने वालों के लिए हाथों की सफाई व सबके लिए मास्क बहुत जरूरी है।
- उपचाराधीन या उसके किसी वस्तु के संपर्क में आने के बाद हाथों की सफाई अवश्य करें।
- शौचालय का उपयोग करने के बाद, भोजन करने से पहले, भोजन तैयार करने से पहले और बाद में हाथों की सफाई अवश्य करें।
- हाथ धोने के लिए कम से कम 40 सेकण्ड तक साबुन-पानी का उपयोग करें या अल्कोहल आधारित हैण्ड सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें।
- हाथ धोने के बाद डिस्पोजेबल पेपर या निजी तौलिये से हाथों को पोछकर सुखा लें।
Published on:
13 Oct 2020 01:14 pm
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