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रितेश के हुनर से पूजा पंडाल में हुई रौनक, कम उम्र में मूर्तियां बनाने पर हुए सम्मानित

रितेश के हुनर से पूजा पंडाल में हुई रौनक, कम उम्र में मूर्तियां बनाने पर हुए सम्मानित

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बलरामपुर. प्रतिभा किसी सहारे की मोहताज नहीं होती। उसे जरूरत होती है तो बस एक मौके की। 17 साल पहले मिले इसी मौके ने आज एक बच्चे को मूर्तिकार बना दिया और आज वो मां दुर्गा जैसी बड़ी बड़ी मूर्तियों का निर्माण का जीविकोपार्जन कर रहा है। मूर्तिकार को जब आज भरे मंच से सम्मानित किया गया तो सभी की आंखे खुली की खुली रह गई।


हम बात कर रहे है सदर विकास खंड के गांव फुलवरिया में रहने वाले रितेश कुमार की। रितेश को बचपन से ही मूर्तियां बनाने की शौक था। बचपन में वो छोटे छोटे खिलौने बनाकर अपने दोस्तों के साथ खेला करता था। बढ़ती उम्र व समय के साथ रीतेश के हाथ में हुनर आता गया और वो धीरे धीरे छोटी से बड़ी मूर्तियां बनाने लगा।

पांच साल पहले 2012 में शारदीय नवरात्रि के दौरान ग्रामीणों ने श्रीश्री 108 नव दुर्गा बाल श्रृंगार समिति बनाकर पूजा पंडाल की स्थापना की और रितेश की बनाई मूर्तियों को स्थापित कर पूजा अर्चना शुरू की। 2012 से लेकर आज तक फुलवरिया गांव के इस पूजा पंडाल में 17 वर्षीय रितेश की बनाई मूर्तियां ही स्थापित की जाती हैं। रितेश ने पूजा पंडाल के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ साथ मां लक्ष्मी, श्री गणेश, मां सरस्वती और श्री कार्तिकेय की भी मूर्तियों का निर्माण किया जो इस पूजा पंडाल की शोभा बढ़ा रहीं है।

गुरुवार को श्रीश्री 108 नव दुर्गा बाल श्रृंगार समिति फुलवरिया गांव के पूजा पंडाल में महाआरती में पहुंचे युवा समाजसेवी व वैश्य समाज उत्तर प्रदेश के जिलाध्यक्ष रविन्द्र कमलापुरी ने रितेश की प्रतिभा से प्रभावित होकर उसे अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

इस दौरान अयोध्या कुलदीप, नन्द किशोर वर्मा, वंशीलाल, सरवन पाल सहित तमाम लोग मौजूद रहे। सम्मानित करते हुए रविन्द्र ने कहा कि हमारे जिले में प्रतिभावान लोगों की कमीं नहीं है। लोगों को चाहिए कि ऐसी प्रतिभाओं को सम्मानित कर उचित मंच देने में सहयोग करें।

पूजा पंडाल समिति के अध्यक्ष विजय बहादुर ने बताया कि जब से रितेश ने बड़ी मूर्तियां बनाना शुरू किया है तब से पूजा पंडाल में उसी की बनाई मूर्तियां ही स्थापित की जाती है। 17 वर्षीय रितेश कुमार ने बताया कि सभी मूर्तियां बनाने में 17 दिन का समय लगा है। भविष्य में हुनर को और बेहतर बनाकर मूर्तिकारी को आजाविका बनाने की सोंच रहे हैं लेकिन पैसों की कमी इसके आगे रोड़ बन रही है। युवा समाजसेवी रविन्द्र कमलापुरी ने रितेश की हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया है।