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अवैध खनन के चक्कर में नदी की धारा ही मोड़ दी, पानी के लिए बांदा में मचा हाहाकार

- जिलाधिकारी ने दिये कड़ी कार्यवाही के निर्देश- प्रमुख सचिव ने की 3 करोड़ 88 लाख की घोषणा- पेयजल संकट से बेहाल बांदा के लोग

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Water Crisis

बांदा में पानी के लिए हाहाकार, अवैध खनन के चक्कर में नदी की धारा ही मोड़ दी

शहजाद अहमद
बांदा. पेयजल की समस्या से पूरा बांदा जिला प्रभावित है। लगभग एक महीने से पानी की किल्लत ज्यादा ही बढ़ गई है। मोहल्लों में नल व हैंडपंप सूखे पड़े हैं। रोजाना लोग विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। शहर के करीब आधा दर्जन मोहल्ले के लोगों ने लोकसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार भी किया था। शहर में पानी की आपूर्ति न हो पाने की प्रमुख वजह केन नदी में अवैध खनन और नदी किनारे सब्जी बोने वाले लोग हैं। ट्यूबवेल और मशीनें खराब होना भी प्रमुख कारणों में से एक है। अवैध खनन करने वालों और नदी किनारे सब्जी बोने वालों ने नदी की जलधारा को ही मोड़ दिया है, जिसके चलते पानी ट्यूबवेलों तक नहीं पहुंच पाने से शहर में पानी की सप्लाई बाधित है। पानी की समस्या को देखते हुए बीते दिनों बांदा जिलाधिकारी हीरालाल ने केन नदी के किनारे बने ट्यूबवेल, खदान व सब्जी बोने वाले खेतों का निरीक्षण किया था। मौके की स्थिति पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने नदी किनारे सब्जी बोने वालों पर मुकदमे दर्ज करने के आदेश भी दिये थे।

बांदा जिले में भीषण पानी की समस्या को लेकर उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज सिंह ने बांदा मंडल जल संस्थान भूरागढ़ का निरीक्षण किया और साथ में बने इनटेक वेल को भी देखा। उन्होंने कहा कि बांदा डिवीजन के लिए डब्ल्यू.टी.पी. पानी की कमी न हो, पानी की सप्लाई के लिए अट्ठासी लाख रुपए जल संस्थान को दिया गया है और बांदा डिवीजन के लिए ठेकेदारों और कर्मचारियों के वेतन संबंधी भुगतान के लिए तीन करोड़ रुपए शासन से प्रस्तावित मंजूरी दी गई है। हमारे पास पानी की कमी नहीं है, और न ही संसाधनों की, जिन उपकरणों में खामियां हैं, उनको तत्काल दुरुस्त करवाया जाये, ताकि शहर के प्रत्येक आदमी के लिए प्रतिदिन 135 लीटर पानी की व्यवस्था हो सके।

बांदा में पेजयल की समस्या का मुख्य कारण अवैध-खनन है। यहां लगभग दो दर्जन मोरम खदानें संचालित हैं, जहां दिन-रात पोकलैंड मशीनें नदी के बीच से मोरम निकाल रही हैं, जिससे नदी का जल स्तर भी गिर गया है। जिले से रोजाना लगभग 2000 ट्रक मोरम निकलती है और यह पुलिस चौकी और थानों के सामने से धड़ल्ले से निकलते रहते हैं। कई बार पुलिस ने इस खेल को रोकने का प्रयास किया, पर शायद सत्ताधारियों को ये नागवार गुजरा और पुलिस से यह अधिकार भी छीन लिया। अब तो इनकी निगरानी उन हाथों में हैं जो खुद इस काम का अच्छा ख़ासा कमीशन पाते हैं। नतीजन, यह लोग दिन-दहाड़े पोकलैंड मशीनों से नदी का सीना छलनी कर रहे हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से नदी की जलधारा मोड़ दे रहे हैं। ऐसा ही कुछ हाल नदी किनारे सब्जी बोने वाले लोगों का है, जो अपने खेत तक पानी पहुंचाने के लिए नदी की जलधारा खेतों की ओर ले जा रहे हैं।

बयान
हफ्ते 10 दिन में हर हालत में पानी की समस्या का समाधान हो जाएगा। शहर के अंदर जहां पर भी पानी की समस्या है, उन क्षेत्रों का भ्रमण कर पानी भेजने का हर प्रयास किया जाएगा। हमारे पास पानी की कमी नहीं है और न ही संसाधनों की, जिन उपकरणों में खामियां है। उन्हें तत्काल दुरुस्त करवाया जाएगा।
मनोज सिंह, प्रमुख सचिव, नगर विकास