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सज्जन और दुर्जन की पहचान हो-आचार्य अरविन्द सागर

क्रिएटिंग यंग लीडर्स कार्यशाला

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सज्जन और दुर्जन की पहचान हो-आचार्य अरविन्द सागर

सज्जन और दुर्जन की पहचान हो-आचार्य अरविन्द सागर

बेंगलूरु. संभवनाथ जैन मंदिर दादावाड़ी में आचार्य अरविंदसागर सूरीश्वर ने कहा कि जब तक हम स्वयं में आत्मविश्वास नहीं लाएंगे हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे। अनमोल मानव भव मिला है जिस समय सम्यकज्ञान आ जाए उसी समय से जीवन में परिवर्तन लाना है। अध्यात्म दिशा में आगे बढऩा है। दिस या दैट ये हमें चुनना है। बुद्धीसागर सूरी प्रवचन वाटिका में क्रिएटिंग यंग लीडर्स के अंतर्गत विषय "दिस या देट" में युवपीढ़ी को प्रेरणा देते हुए आचार्य ने कहा कि जैसी जानकारी वैसा निर्णय-इस दिशा में दिस या देट विषय में चुनना है। कई बार जिंदगी में दोराहे पर खड़े होते हैं वहां सही समझ ना होने के कारण गलत दिशा चुन लेते हंै। इस दुविधा में हम लक्ष्य मंजिल से दूर होते जाते हैं। हमें दिशाहीन करने के लिए कई विकल्प मिलते हंै लेकिन हमें मार्ग से भटकना नही है। हमारी जिंदगी में खुशियां जिसकी वजह से आई हंै उस ओर हमारा ध्यान नहीं जाता है हमारे जीवन में प्राप्त उपलब्धियों को जानने के लिए ही यह सेशन रखा गया है। हमें लोगों की पहचान होनी चाहिए सही मार्गदर्शक पर फोकस हो। घटित घटनाओं में किस-किस का उपकार है। इस ओर ध्यान देना है। व्यक्ति के जीवन में अनेक व्यक्ति प्रभावित होते हैं कुछ गलत राह पर ले जाते हैं और कुछ शून्य से शिखर तक पहुंचाते हैं। सज्जन और दुर्जन की पहचान हो। जीवन बदल जाए वैसी दिशा पानी है। गणिवर्य हीरपद्मसागर ने "इतनी शक्ति हमें देना- गीत का आंशिक संगान किया। मुख्य प्रशिक्षक राहुल कपूर जैन ने कल्याण मित्र की परिभाषा यानी सही गुरु जीवन में जो सफलता है दे, जो हमें पानी है। दु:ख क्या होता है असफलता क्या होती है यह हम जान सकते है।
द्वितीय सत्र में एक साक्षात्कार द्वारा मुमक्षु प्रवीण कांकरिया और मुमुक्षु सलोनी चौहान के जीवन में बदलाव को देख उपस्थित युवापीढ़ी ने प्रेरणा पाई। साधारण से असाधारण की गाथा, शून्य से शिखर तक का सफर साझा किया। चेन्नई में रहने वाला ऊंचे-ऊंचे ख्वाबों में जीने वाले प्रवीण ने कई कम्पनियों में कार्य किया, स्वयं का व्यवसाय किया।

सलोनी पांडिचेरी की रहने वाली के जीवन में उपधान तप से बदलाव आया कोरोना महामारी जैसे काल में दो मॉडल सही मायने में आध्यात्मिक मॉडल बने। हर युवा की तरह इनके भी भविष्य में कुछ बनने की योजनाएं थी। उस ओर कदम भी बढ़ाए पर जैसे-जैसे धर्म को जाना, गुरु को माना जीवन में बदलाव आना शुरू हुआ। दीक्षा आज्ञा में थोड़ी कठिनाई आई परीक्षा भी ली गई लेकिन दृढ़ संकल्प के कारण सफलता मिली। अध्यक्ष गौतम सोलंकी ने स्वागत किया। संघ की ओर से इस आयोजन से जुड़े व्यक्तियों का एवं लाभार्थी "माणक मेवा" का सम्मान किया गया। निक्की कोठारी एवं बिन्दू रायसोनी ने विचार रखे। भैरुमल दांतेवाडिया ने आभार जताया राहुल कपूर की टीम का पूर्ण सहयोग रहा। लगभग 350 युवाओं की उपस्थिति रही।