
Ajmer Court news-मासूम से छेड़छाड़ के आरोपी को 5 साल का कठोर कारावास
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि जैविक और दत्तक संतान में कोई अंतर नहीं है और दोनों के अधिकार समान हैं। अदालत ने कहा कि दत्तक पुत्र भी अभिभावक की जगह अनुकंपा के आधार पर नौकरी का हकदार है। उनके अभिभावकों के मामले में अनुकंपा आधार पर नियुक्ति को लेकर इसमें कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
जस्टिस सूरज गोविंदराज और जस्टिस जी बसवराज की खंडपीठ ने कहा कि संतान जैविक हो या गोद ली गई, संतान ही होती है। यदि इस तरह भेदभाव किया गया तो फिर गोद लेने का कोई उद्देश्य नहीं रह जाएगा। इनमें भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इस मामले में अदालत ने राज्य सरकार की दलील खारिज कर दी।
जैविक पुत्र के समान आवेदन पर विचार करे विभाग- खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का मकसद कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के कारण परिवार के सामने आने वाली वित्तीय कठिनाई को दूर करना है।
इस मामले में मृतक के परिवार में उनकी पत्नी, दत्तक पुत्र तथा एक पुत्री है, जो मानसिक रूप से अस्वस्थ और शारीरिक रूप से नि:शक्त है। चूंकि जैविक पुत्र की मृत्यु हो गई है, इसलिए दत्तक पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति का हक है। कोर्ट ने प्रतिवादी की इस दलील को खारिज कर दिया कि 1996 के नियम में अनुकंपा नियुक्ति के लिए दत्तक पुत्र पर विचार करने का प्रावधान नहीं है। अदालत ने यह नोट किया कि नियमों में 2021 में किए गए संशोधन में अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन पर दत्तक पुत्र के मामले में भी जैविक पुत्र के समान विचार का प्रावधान किया गया। उच्च न्यायालय ने कहा कि हालांकि, अपीलकर्ता के आवेदन के बाद संशोधन पेश किया गया था, लेकिन इसके लाभ से इनकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने विभाग के तर्क को खारिज करते हुए दत्तक पुत्र के आवेदन को उपयुक्त माना और संबंधित विभाग के अधिकारियों को 12 सप्ताह में अपीलकर्ता के आवेदन पर जैविक पुत्र के समान विचार करने का निर्देश दिया।
अदालत ने एक दत्तक पुत्र की याचिका पर यह आदेश सुनाया। याचिकाकर्ता के पिता सहायक लोक अभियोजक कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे। उनकी मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए दत्तक पुत्र के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। मृतक ने अपने जैविक पुत्र के एक सड़क हादसे में मृत्यु के बाद अपीलकर्ता को 2011 में गोद लिया था। 2018 में दत्तक पिता की मृत्यु के बाद अपीलकर्ता ने अनुकंपा के आधार पर जब नौकरी के लिए आवेदन किया तो दत्तक संतान होेने के कारण उसका आवेदन खारिज कर दिया गया। इसे चुनौती देने वाली एक रिट याचिका को 2021 में उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि अपीलकर्ता के आवेदन के समय प्रभावी कर्नाटक सिविल सेवा (अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति) नियम, 1996 के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति में दत्तक पुत्र के लिए विचार करने का कोई प्रावधान नहीं है। अपीलकर्ता ने एकल पीठ के फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी।
Published on:
24 Nov 2022 08:50 pm
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग
